अंतर्राष्ट्रीय
09-Dec-2025
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बीजिंग (ईएमएस)। वैश्विक स्तर पर पीने योग्य पानी की भारी कमी और पेट्रोल-डीजल के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प की खोज जारी है। ऐसे में चीन ने एक अनोखी उपलब्धि हासिल कर दुनिया को चौंका दिया है। पूर्वी प्रांत शेडोंग के रिझाओ शहर में स्थापित दुनिया की पहली ऐसी फैक्ट्री ने समुद्री खारे पानी को न केवल पीने लायक मीठा बनाया है, बल्कि भविष्य का ईंधन ग्रीन हाइड्रोजन भी तैयार कर लिया। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इसकी लागत मात्र 2 युआन यानी लगभग 24 भारतीय रुपये प्रति क्यूबिक मीटर है। यह तकनीक इतनी किफायती है कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे देशों को पीछे छोड़ चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, यह सुविधा पूरी तरह से समुद्री जल और निकटवर्ती स्टील तथा पेट्रोकेमिकल कारखानों से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा पर निर्भर है। बर्बाद हो रही गर्मी का अब उत्पादक उपयोग हो रहा है। प्रणाली ‘एक इनपुट, तीन आउटपुट के सिद्धांत पर कार्य करती है। इनपुट के रूप में समुद्री जल और अपशिष्ट ऊष्मा ली जाती है, जबकि तीन प्रमुख उत्पाद प्राप्त होते हैं। पहला उत्पाद है अल्ट्रा-शुद्ध मीठा पानी। प्रतिवर्ष 800 टन समुद्री जल प्रसंस्करण से 450 क्यूबिक मीटर उच्च गुणवत्ता वाला पानी मिलता है, जो पीने और औद्योगिक उपयोग दोनों के लिए उपयुक्त है। दूसरा उत्पाद ग्रीन हाइड्रोजन है, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 1,92,000 क्यूबिक मीटर है। तीसरा उत्पाद ब्राइन है, जिसमें 350 टन खनिज युक्त अवशेष बचता है, जिसका उपयोग समुद्री रसायनों के निर्माण में होता है। लागत की दृष्टि से यह प्लांट विश्व रिकॉर्ड तोड़ चुका है। चीन में उत्पादित पानी की कीमत 24 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि सऊदी अरब और यूएई में सबसे सस्ता डिसेलिनेटेड पानी 42 रुपये में उपलब्ध है। अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सबसे बड़े प्लांट में लागत 186 रुपये तक पहुंच जाती है। दिलचस्प बात यह है कि बीजिंग में घरेलू नल का पानी 5 युआन प्रति क्यूबिक मीटर पड़ता है, जबकि समुद्री जल से प्राप्त पानी उससे आधे से भी कम में तैयार हो रहा है। हाइड्रोजन को पेट्रोल का ‘बाप’कहा जाता है क्योंकि यह पूर्णतः प्रदूषण-मुक्त ईंधन है। परंपरागत रूप से इसके उत्पादन में भारी बिजली और शुद्ध मीठे पानी की आवश्यकता होती थी। समुद्री जल मशीनों को क्षति पहुंचाता था। लेकिन रिझाओ की यह तकनीक सीधे खारे पानी से हाइड्रोजन बना रही है। उत्पादित हाइड्रोजन इतनी मात्रा में है कि 100 बसें प्रतिवर्ष 3,800 किलोमीटर तक चल सकती हैं। लाओशान लेबोरेटरी के वरिष्ठ इंजीनियर किन जियांगगुआंग ने कहा, यह केवल सिलेंडर भरने की प्रक्रिया नहीं है; यह समुद्र से ऊर्जा निकालने का नया मार्ग है। समुद्री जल में मौजूद मैग्नीशियम, कैल्शियम और क्लोराइड आयन इलेक्ट्रोड पर जमा होकर मशीनों को खराब कर देते थे। लेकिन पिछले तीन सप्ताह से यह प्लांट बिना किसी रुकावट के निरंतर कार्यरत है, जिससे जंग की समस्या का स्थायी समाधान सिद्ध हो चुका है। यह नवाचार उन देशों के लिए वरदान है जहां समुद्र तो उपलब्ध है, किंतु मीठा पानी और ऊर्जा संसाधन सीमित हैं।चीन की यह सफलता जल संकट और हरित ऊर्जा की वैश्विक चुनौतियों का एकीकृत समाधान प्रस्तुत करती है। अपशिष्ट ऊष्मा का पुनर्चक्रण, शून्य मीठे पानी की खपत और न्यूनतम लागत इसे पर्यावरण-अनुकूल तथा आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडल विश्व स्तर पर अपनाया जा सकता है, जिससे विकासशील राष्ट्रों को जल और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त होगी। रिझाओ प्लांट न केवल तकनीकी क्रांति है, बल्कि सतत विकास का जीवंत उदाहरण भी है। वीरेंद्र/ईएमएस 09 दिसंबर 2025