- करतला वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम सेंद्रीपाली के लोगों ने मनाई हाथी के बच्चे की छठी - 2 माह से फसल रौंद रहे थे 10 हाथी - भगाने की सारी कोशिशें हुई फेल कोरबा (ईएमएस) कोरबा जिला के करतला वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम सेंद्रीपाली में 2 माह से ग्राम के पास हाथियों की मौजूदगी से परेशान एक ग्राम के ग्रामीणों ने उन्हें वापस भेजने दल में आए नन्हें मेहमान (बी एलीफेंट) की छठी मनाई। इसके बाद हाथी का दल लौट गया। जानकारी के अनुसार करतला वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम सेंद्रीपाली के पास दिवाली से पहले 8-10 हाथी का दल पहुंचा था, जो रात्रि पहर में ग्राम के करीब पहुंचकर खेतों में लगे फसल को चौपट कर देता था। ग्राम के करीब हाथी की मौजूदगी होने और रात में उनके विचरण के लिए निकलने की वजह से बिजली विभाग शाम से लेकर सुबह तक ग्राम की लाइट गुल कर देता था। फसल नुकसान और बिजली गुल होने से परेशान ग्रामीण आए दिन ट्रैक्टर चलाकर और मशाल जलाकर हाथी को खदेड़ने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन हाथी का दल ग्राम से दूर नहीं जा रहा था, बल्कि इस बीच हाथी दल में बेबी एलीफेंट आ गया। हाथी को भगाने की सभी जतन कर चुके ग्रामीणों को ग्राम के बुजुगों ने गांव की सीमा पर पहुंचकर पूजा-पाठ कर दल में शामिल नन्हें मेहमान की छठी (छट्ठी) मनाने सलाह दी। इसके बाद 100 लोग ग्राम की सीमा पर पहुंचे, जहां अगरबत्ती जलाकर व नारियल फोड़कर पूजा-पाठ की गई और बेबी एलीफेंट की छठी मनाई गयी। ग्रामीण गांव लौटे और रात में हाथी का दल भी वापस रवाना हो गया। इसके बाद ग्राम सेंद्रीपाली के ग्रामीण राहत में है। वन विभाग के अनुसार हाथी दल में बेबी एलीफेंट आने के बाद करीब एक माह तक वे उसी क्षेत्र में रहते हैं, सेंद्रीपाली में मौजूद दल रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र लौट गया है। - ग्राम में चंदा कर मनाई गई छठी, 200 लोग हुए शामिल एक स्थानीय ग्रामीण ने जानकारी देते हुए बताया की 2 माह से मौजूद हाथी रात्रि में खेत पहुंचकर वहां लगे फसल को चट कर जाते थे। ऐसे में बुजुर्गों की सलाह पर ग्राम में चंदा कर रविवार को जंगल के पास हाथी के बच्चे की छठी मनाई गई, जिसमें ग्राम के लगभग 200 लोग शामिल हुए। खीर-पूड़ी, दाल-चावल बनाया गया। हाथी दल के लिए जंगल में भोजन छोड़कर बाकी सभी ग्रामीण जिस तरह से छठी में खाते हैं, वैसा खाकर लौटे। - भरोसा नहीं होता पर सच में लौटे हाथी एक किराना दुकान संचालन करने वाली महिला बताती है कि 2 माह से हाथी गांव के करीब थे।मशाल जला भगाने, पटाखा फोड़ने, ट्रैक्टर से दौड़ाने सहित तमाम प्रयास फेल हो गए। रविवार को ग्रामीणों ने हाथियों के साथ मौजूद बेबी एलीफेंट की छठी मनाई। उस दिन के बाद मंगलवार को तीसरा दिन है और हाथी अब नजर नहीं आ रहे। - बिजली बंद से थे परेशान अंधेरे में लगा रहता था डर स्थानीय ग्रामीण ने बताया की दिवाली के समय से हाथी के ग्राम के पास डेरा डाल देने से शाम को अंधेरा होने के बाद से सुबह उजाला होने तक बिजली विभाग द्वारा हाथी को करंट से नुकसान न हो, इसलिए बिजली बंद कर देता था। पूरी रात ग्रामवासी अंधेरे में रहते थे। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई थी और अंधेरे में हाथियों के ग्राम में घुसने का भी डर रहता था। ऐसे में रतजगा करना पड़ता था। 10 दिसंबर / मित्तल