सिंगरौली। (ई एम एस )सरई तहसील के सुलियरी कोल ब्लॉक में हो रही बासी–बेरदह के हरे–भरे जंगलों की बेरहमी से की जा रही कटाई पर उठे सवालों ने आज बड़ा राजनीतिक रूप ले लिया, जब कांग्रेस का उच्च स्तरीय जाँच दल मौके पर पहुँचा—लेकिन प्रशासन ने नेताओं को जंगल में घुसने ही नहीं दिया। सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी भारी पुलिस फोर्स किसकी सुरक्षा के लिए जुटाई गई थी—जंगल की या कटाई करवाने वालों की? जंगल पहुँची कांग्रेस टीम — लेकिन पुलिस ने खड़ा कर दिया ‘सत्य का बैरिकेड’ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे, विधायक जयवर्धन सिंह, डॉ. विक्रांत भूरिया, ओंकार मरकाम, बाला बच्चन समेत तमाम वरिष्ठ नेता जब वासी–बेरदह पहुँचे तो उन्हें पुलिस ने गेट पर ही रोक दिया। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि अदानी कंपनी के दबाव में प्रशासन जंगल का सच सामने आने नहीं देना चाहता। नेताओं ने पुलिस अधिकारियों से बातचीत की कोशिश की, लेकिन किसी अधिकारी ने आगे आकर बात करना तक गवारा नहीं किया। यह रवैया खुद प्रशासन पर ही गंभीर सवाल खड़े करता है। *गेट पर ही धरना—कांग्रेस का गरजता आरोप: “प्रशासन कंपनी की चौकीदारी कर रहा है* जंगल की कटाई देखने न दिया जाना नेताओं के लिए सबसे बड़ा सबूत बन गया। ऐसा लगता था जैसे पेड़ काटने वाला कोई ‘गुप्त ऑपरेशन’ चल रहा हो, जिसे जनता और विपक्ष की नज़रों से बचाया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने वहीं गेट पर धरना शुरू कर दिया और आरोप लगाया: *हज़ारों पेड़ों की हत्या हो चुकी है—और प्रशासन कंपनी का सुरक्षा कवच बना खड़ा है* “जनता की आवाज़ दबाई जा रही है। “सत्य से इतनी घबराहट क्यों? आखिर जंगल में ऐसा क्या छिपा है? एडिशनल एसपी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल — किसके आदेश पर इतनी कड़ी घेराबंदी? अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सर्वप्रिय सिन्हा के नेतृत्व में एसडीओपी देवसर, एसडीओपी चितरंगी, सीएसपी विंध्यनगर, करीब आधा दर्जन टीआई और सैकड़ों पुलिस जवान मौके पर तैनात थे। पुलिस का तर्क था कि “जंगल में जाना सुरक्षित नहीं है”— लेकिन सवाल यह है कि जो जंगल कल तक शांत था—आज वहां अचानक खतरा कैसे पैदा हो गया? क्या खतरा केवल उन लोगों को था, जो सच देखने जा रहे थे? *पेड़ कटे, ढुलाई चालू — लेकिन प्रशासन मौन* स्थानीय ग्रामीणों का कहना है *पेड़ काटने का काम लगभग पूरा हो चुका है* अब रात–दिन ढुलाई जारी है *विरोध करने वाले ग्रामीणों को डरा–धमकाया जा रहा है* इसके बावजूद प्रशासन कांग्रेस का रास्ता रोकने में तो तत्पर दिखा, लेकिन कटाई रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा—या यूँ कहें कि अनिच्छुक। *पेड़ कटाई पूरी – अब धड़ल्ले से चालू ढुलाई… प्रशासन खामोश, पुलिस सतर्क*रिपोर्ट आर एन पाण्डेय