लेख
13-Dec-2025
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हाल ही में नेपाल सरकारी करेंसी पर मुद्रित एक नक्शे ने भारत नेपाल संबंधों में तकरार पैदा की कोशिश की है। आप को पता है कि राजशाही के खात्मे के बाद नेपाल 2008 में गणतंत्र बना था और 2015 में नेपाल का संविधान लागू हुआ। इस दौरान चीन परस्त के। पी। शर्मा ओली 2 बार देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि वह एक बार भी अपना कार्यकाल पूर्ण नहीं कर पाए परंतु इस दौरान उन्होंने भारत विरोधी रवैया ही अपनाए रखा।नेपाल के सेंट्रल बैंक ने गुरुवार (27 सितंबर) को 100 रुपए का नया नोट जारी किया है। इस नोट को जारी करते ही भारत और नेपाल के बीच एक नया सीमा विवाद खड़ा हो गया। दरअसल इस नोट में नेपाल का बदला हुआ मैप छपा है। इस मैप में भारत और नेपाल के बीच विवादित कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा इलाके नेपाल की सीमा में दिखाए गए हैं। इस नोट पर छपे नक्शे को लेकर भारत ने इसे ऑर्टिफीशियल एनलार्जमेंट बताया है। नेपाल राष्ट्र बैंक (NRB) के नए नोट पर पिछले गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी के सिग्नेचर हैं। वहीं इस नोट को जारी करने की तिथि बैंक ने 2081 BS लिखी है। घरेलू मामलों में मनमाने निर्णय लेने के साथ-साथ चीन के उकसावे पर ओली ने भारत के 3 इलाकों लिपुलेख, कालापानी व लिपियाधुरा पर अपना दावा जताने के अलावा समय-समय पर भारत विरोधी बयान दिए और भारत विरोधी कदम उठाए जिनसे दोनों देशों के संबंधों में खटास आई। आपको बता दें 13 जून, 2020 को ओली ने उत्तराखंड स्थित लिपुलेख, लिपियाधुरा और कालापानी के इलाकों को नेपाल के नक्शे में दिखाने को नेपाल की संसद से स्वीकृति दिलाई और आरोप लगाया कि भारत उनकी सरकार को अस्थिर करना चाहता है जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इस बीच 3 सितम्बर, 2025 को प्रधानमंत्री के।पी। शर्मा ओली तथा उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों के मनमाने फैसलों तथा भ्रष्टाचार के विरुद्ध युवाओं ने मोर्चा खोल दिया। जेन जी के बैनर तले आंदोलनकारी युवा नेपाल की राजधानी काठमांडू के कई हिस्सों में के।पी। चोर देश छोड़ो और भ्रष्ट नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई करो, भूकम्प की जरूरत नहीं है नेपाल रोज भ्रष्टाचार से हिलता है जैसे नारे लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे थे। आंदोलनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित अनेक मंत्रियों के आवास अग्नि भेंट कर दिए तथा आंदोलन के दौरान 20 लोगों की मौत की जवाबदेही की मांग को लेकर अपना प्रदर्शन जारी रखा। 9 सितम्बर को सुबह से ही तेजी से बदलते हालात के बीच दोपहर को एहतियातन राजधानी काठमांडू तथा आसपास के इलाकों में कर्फ्यू भी लगाया गया परन्तु स्थिति नियंत्रण में नहीं आई। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप अंततः देश में तख्तापलट हुआ और 13 सितम्बर, 2025 को देश की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की (73) को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। चूंकि 1971 में नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन करने के बाद सुशीला कार्की ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आगे की पढ़ाई पूरी की थी, इसलिए आशा थी कि भारत में पढ़ाई के बाद अब राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर मिलने पर वह भारत के प्रति अपना सकारात्मक रवैया रखेंगी, परंतु ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा। नेपाल के केंद्रीय बैंक (नेपाल राष्ट्र बैंक अर्थात एन।आर।बी।) ने 27 नवम्बर, 2025 को अपने देश का 100 रुपए का नया नोट जारी करके एक एक बार फिर अपना भारत विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। इस नोट पर नेपाल का संशोधित मानचित्र लगा हुआ है और इसमें भारत के स्वामित्व वाले काला पानी, लिपुलेख और लिपियाधुरा क्षेत्र नेपाल में दिखाकर फिर विवाद खड़ा कर दिया है।एनआरबी प्रवक्ता ने ये भी साफ किया कि नेपाली रुपयों में 10 रुपये, 50 रुपये, 500 रुपये और 1,000 रुपये जैसे अलग-अलग कीमत वाले बैंक नोटों में से सिर्फ़ 100 रुपये वाले नोट पर ही नेपाल का नक्शा है बाकी के नोटों पर नहीं है। वहीं भारत का दावा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा तीनों ही भारत के हैं नेपाल इसे गलत तरीके से प्रदर्शित कर रहा है। भारत ने साल 2020 में नेपाल की इस हरकत के लिए चेतावनी भी दी थी कि किसी भी सूरत में भारत नेपाल के इस कृत्रिम विस्तार को मंजूरी नहीं देगा। नेपाल के नए 100 रुपये के बैंक नोट के बाईं ओर माउंट एवरेस्ट है, जबकि दाईं ओर नेपाल के राष्ट्रीय फूल रोडोडेंड्रोन का वॉटर मार्क है। बैंक नोट के बीच में बैकग्राउंड में नेपाल का हल्का हरा रंग का नक्शा छपा है। नक्शे के पास अशोक स्तंभ भी छपा है जिस पर भगवान बुद्ध की जन्मभूमि लुंबिनी लिखा है। बैंक नोट के पीछे एक सींग वाले गैंडे की तस्वीर है। बैंक नोट में एक सिक्योरिटी थ्रेड और एक उभरा हुआ काला डॉट भी है, जिससे अंधे लोग इसे पहचान सकते हैं। नेपाल भारत के पांच राज्यों सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा रेखाओं में 1850 किमी से ज़्यादा हिस्सा अपना होने का दावा करता है। भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल सरकार के इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे कृत्रिम विस्तार तथा ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत बताया है और यह मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव ने स्थिति को जटिल बना दिया है और चीन के प्रभाव में ही नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकारें भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दे रही हैं। नेपाल का यह रवैया भारत के लिए तो चिंता का विषय है ही नेपाल के लिए भी हितकर नहीं है। जब भी वहां कोई प्राकृतिक संकट पैदा होता है तो सबसे पहले भारत ही उसकी सहायता के लिए आगे आता है। लिहाजा वहां जितनी जल्दी परिपक्व फैसले लेने वाली सरकार बने उतना ही दोनों देशों के संबंधों के लिए बेहतर होगा। ईएमएस/13/12/25