नई दिल्ली (ईएमएस)। देश में पर्यटन के मामले में गोवा का नाम सबसे पहले आता है। गोवा प्राकतिक खूबसूरती के साथ-साथ अपनी अनोखी परंपराओं के लिए भी मशहूर है। यहां एक साओ जोआओ त्योहार मनाया जाता है जिसमें नए दूल्हे को कुएं या तालाब में धक्का देकर पानी में फेंका जाता है। इस परंपरा के पीछे बेहद रोचक सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यह त्योहार हर साल उत्तर गोवा में मनाया जाता है। यह मुख्यतः एक पानी से जुड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो संत जॉन द बैपटिस्ट की स्मृति में मनाई जाती है। इस त्योहार में लोग पानी में कूदते हैं, नाचते-गाते हैं और प्रकृति के आशीर्वाद का जश्न मनाते हैं। शादी के बाद दूल्हे को कुएं या तालाब में फेंकने का एक गहरा प्रतीकात्मक अर्थ है-मान्यता है कि पानी में डुबकी लेने से नए दूल्हे के जीवन में समृद्धि, उपज, नए परिवार में खुशियां, और आने वाली पीढ़ियों का आशीर्वाद मिलता है। यह एक तरह से नए रिश्तों की शुरुआत का शुभ संकेत माना जाता है। यह परंपरा रिश्तेदारों खासकर लड़की वालों के लिए एक मौका होती है कि वे दूल्हे के स्वभाव, ऊर्जा, मजाकिया अंदाज और परिवार में घुलने-मिलने की क्षमता को समझ सकें। पानी में कूदना गोवा की संस्कृति में स्वागत का प्रतीक है। इससे माना जाता है कि दूल्हा नए परिवार और नए समुदाय को खुले दिल से स्वीकार कर रहा है। यह रस्म मुख्य रूप से उत्तर गोवा के गांवों में मनाई जाती है, जैसे- अंज़ुना, असगांव, मापुसा क्षेत्र के कई गांव और कालनगुट के आसपास के इलाके में। इन इलाकों में यह त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। दूल्हे वाले इस रस्म को मस्ती भरा स्वागत मानते हैं। वे कहते हैं कि इससे शादी का माहौल और भी खुशहाल हो जाता है। लड़की वालों का परिवार इसे नए रिश्तों में अपनापन बढ़ाने का तरीका बताते हैं। हंसी-मजाक और पानी में कूदने से रिश्तों में झिझक दूर होती है। सुदामा/ईएमएस 14 दिसंबर 2025