मॉस्को (ईएमएस)। बीते 3 सालों से रूस से चले आ रहे संघर्ष के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की फिलहाल समझौते के मूड में दिख रहे हैं। उनका कहना है कि वे नाटो में शामिल होने की अपनी मांग को वापस लेने को तैयार हैं। इसी मांग को लेकर रूस हमलावर रहा है कि आखिर यूक्रेन नाटो में क्यों शामिल होना चाहता है और यदि वे अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन का हिस्सा बनता है, तब उसकी सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होगा। इस बीच यूक्रेनी नेता ने यदि नाटो में जाने की डिमांड को ही वापस लेने की बात कर दी है तब फिर उनके झुकाव का संकेत है, लेकिन उन्होंने दो मांगें भी रख दी हैं। जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और उनके दामाद जेरेड कुशनर से कहा है कि वह दो बातें कहना चाहते हैं। पहली बात यह कि वे रूस की ओर से कब्जाए गए इलाकों पर दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके अलावा वह चाहते हैं कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी मिले। दरअसल ट्रंप ने पिछले दिनों शांति प्रस्ताव को लेकर यह शर्त भी रखी थी कि रूस की ओर से कब्जाए इलाकों का उसी में विलय हो जाए और यूक्रेन की ओर से उस पर सहमति जताकर युद्ध को समाप्त किया जाए। अब जेलेंस्की ने नाटो वाली शर्त को स्वीकार किया है, लेकिन यूक्रेन के इलाके रूस को सौंपने को लेकर सहमत नहीं हैं। इस वार्ता के दौरान जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज भी उनके साथ बैठे थे। जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों ने यूक्रेन की ओर से नाटो में शामिल होने की कोशिश से इंकार कर दिया है। लेकिन हम चाहते हैं कि नाटो और उसके सहयोगी देशों की ओर से हमें सुरक्षा को लेकर भरोसा दिया जाए। आशीष दुबे / 15 दिसंबर 2025