राष्ट्रीय
17-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। मनरेगा की जगह लाए गए विकसित भारत–जी राम जी विधेयक 2025 को लेकर केंद्र सरकार को न केवल विपक्ष, बल्कि अपने ही सहयोगी दल की आपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल तेलुगु देशम पार्टी ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है, खासकर योजना के तहत होने वाले खर्च का बोझ राज्यों पर डाले जाने को लेकर। दूसरी ओर, कांग्रेस ने योजना का नाम बदले जाने के विरोध में बुधवार को देशव्यापी स्तर पर प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है। तेलुगु देशम पार्टी के सांसद लवु श्री कृष्ण देवरयालु ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से हितधारकों के बीच मनरेगा में सुधार और संशोधन को लेकर चर्चा चल रही थी। उनका मानना था कि योजना को अधिक प्रभावी और आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। इसी सोच के आधार पर संसद के भीतर और बाहर कई बदलाव किए गए, जिनमें कार्य दिवसों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 125 करना भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश लंबे समय से आर्थिक दबाव और नकदी संकट से जूझ रहा है। वर्ष 2014 के बाद से राज्य की वित्तीय स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। बीते डेढ़ वर्षों में राज्य सरकार ने केंद्र के साथ कई योजनाओं पर मिलकर काम किया है और जब भी जरूरत पड़ी, केंद्र ने सहयोग दिया है। पार्टी को उम्मीद है कि इस बार भी केंद्र राज्यों की चिंताओं को समझते हुए मदद करेगा। पार्टी के प्रवक्ता एन विजय कुमार ने नए विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसके उद्देश्य के खिलाफ नहीं है, लेकिन 40 प्रतिशत भुगतान के प्रावधान पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि यदि इस बिंदु पर संशोधन किया जाता है तो राज्यों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव कम हो सकता है। ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच यह विधेयक पेश किया। विरोध के बावजूद सदन ने इसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। विपक्षी दलों ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि योजना के नाम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाना उनके सम्मान का अपमान है। उन्होंने मांग की कि विधेयक को वापस लिया जाए या इसे विस्तृत समीक्षा के लिए संसदीय समिति को भेजा जाए। इन आरोपों का जवाब देते हुए चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी देश के हर नागरिक के दिलों में बसे हैं और उनका सम्मान किसी नाम पर निर्भर नहीं करता। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित होकर कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि पूर्व की सरकारों द्वारा योजनाओं के नाम बदले जाने पर क्या किसी महान नेता का अपमान माना गया था। चौहान ने बताया कि अब तक मनरेगा पर 8.53 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। नए विधेयक के तहत 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी जा रही है, जिसके लिए 1.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है। उनके अनुसार यह केवल कागजी वादा नहीं, बल्कि ठोस वित्तीय व्यवस्था के साथ ग्रामीण भारत के समग्र विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। वीरेंद्र/ईएमएस/17दिसंबर2025