मुंबई,(ईएमएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भारतीय सेना में सैनिकों की बड़ी संख्या को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि बदलते युद्ध के स्वरूप को देखते हुए इतनी बड़ी थल सेना रखने की उपयोगिता पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि हालिया घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि भविष्य के युद्ध मुख्य रूप से हवाई शक्ति और मिसाइलों के माध्यम से लड़े जाएंगे, न कि पारंपरिक जमीनी संघर्ष के जरिए। पत्रकारों से बातचीत के दौरान चव्हाण ने कहा कि भारतीय सेना में लगभग 12 से 15 लाख सैनिक हैं, जबकि पाकिस्तान के पास करीब पांच से छह लाख सैनिक हैं। उनके अनुसार, अब सैनिकों की संख्या का वह महत्व नहीं रह गया है जो पहले हुआ करता था। उन्होंने कहा कि इस तरह के बड़े पैमाने पर जमीनी युद्ध की संभावना अब बेहद कम है, क्योंकि आधुनिक युद्ध की प्रकृति पूरी तरह बदल चुकी है। ऐसे में केवल संख्या के आधार पर सैन्य शक्ति को आंकना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह साफ तौर पर देखने को मिला कि जमीनी सेना की भूमिका सीमित रही। उनके अनुसार, इस पूरे अभियान में सेना एक किलोमीटर भी आगे नहीं बढ़ी और संघर्ष मुख्य रूप से हवाई तथा मिसाइल हमलों तक ही सीमित रहा। चव्हाण ने तर्क दिया कि जब भविष्य में भी इसी तरह के युद्ध होने हैं, तो यह सोचना जरूरी है कि 12 लाख सैनिकों की विशाल सेना बनाए रखने की क्या आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सैनिकों की क्षमताओं का उपयोग अन्य राष्ट्रीय कार्यों में भी किया जा सकता है। पुणे में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पृथ्वीराज चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह अभियान पहले ही दिन असफल साबित हो गया था। उनके अनुसार, 7 मई को हुए लगभग आधे घंटे के हवाई संघर्ष में भारत को नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि इस दौरान भारतीय विमानों को गिराया गया, जिसके कारण वायुसेना को आगे की उड़ानों से रोकना पड़ा। चव्हाण का कहना था कि यदि ग्वालियर, बठिंडा या सिरसा जैसे ठिकानों से विमान उड़ते, तो उन्हें भी गिराए जाने का खतरा था, इसी वजह से वायुसेना जमीन पर ही रही। गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी। इस हमले के जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। इस अभियान के तहत पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग चार दिनों तक सैन्य तनाव और संघर्ष की स्थिति बनी रही, जिसे बाद में पाकिस्तान के अनुरोध पर रोक दिया गया। पृथ्वीराज चव्हाण के इन बयानों ने एक बार फिर देश में रक्षा नीति, सैन्य रणनीति और भविष्य के युद्धों को लेकर बहस को तेज कर दिया है। वीरेंद्र/ईएमएस/17दिसंबर2025