राज्य
17-Dec-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। 17 दिसंबर 1398 को तैमूर लंग ने सुल्तान महमूद को हराकर दिल्ली पर कब्जा किया था। इस आक्रमण के दौरान एक लाख बंदियों की हत्या और भीषण लूटपाट ने दिल्ली सल्तनत की नींव हिलाकर रख दी थी। दिल्ली पर कई शासकों ने कब्जा किया है। इसमें मुगलों से लेकर अंग्रेज तक शामिल हैं। इन्हीं में से एक शासक था तैमूर लंग। तैमूर मंगोल सम्राट था और उसने 627 साल पहले बुधवार के ही दिन यानी 17 दिसंबर 1398 को दिल्ली पर कब्जा किया। उसकी सेना ने तुगलक सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद शाह की फौज को हरा दिया। कब्जे के बाद शहर में दिनों तक लूटपाट और कत्लेआम चला। यह आक्रमण दिल्ली सल्तनत के लिए घातक साबित हुआ और उत्तर भारत की राजनीति हमेशा के लिए बदल गई। तैमूर एक पैर से लंगड़ाता था, लेकिन उसने मध्य एशिया, ईरान और इराक तक बड़ा साम्राज्य बनाया था। 1398 में वह भारत आया। उसका बहाना था कि दिल्ली के सुल्तान हिंदू प्रजा के साथ बहुत नरमी बरत रहे हैं। असल वजह दिल्ली की अपार दौलत और कमजोर तुगलक राजवंश था। वह अप्रैल में समरकंद से निकला। सितंबर में सिंधु नदी पार की। रास्ते में मुल्तान, भटनेर और तुलंबा जैसे शहरों को लूटा और आगे बढ़ा। दिल्ली के पास दोनों सेनाओं का आमना-सामना हुआ। सुल्तान के पास जंगी हाथी थे। इन हाथियों के सींगों पर जहर लगा था और शरीर पर चेन की जाली थी। तैमूर की घुड़सवार सेना पहली बार ऐसे हाथियों से डरी। तैमूर ने चालाकी दिखाई। उसने ऊंटों पर घास-लकड़ी लादकर आग लगाई और हाथियों की ओर छोड़ा। हाथी डरकर भागे और अपनी ही सेना को रौंदने लगे। तैमूर की फौज ने मौका देखकर हमला कर दिया। सुल्तान महमूद और उसका वजीर मल्लू इकबाल भाग खड़े हुए। 17 दिसंबर को दिल्ली के दरवाजे तैमूर के लिए खुल गए। अजीत झा/देवेन्द्र/नई दिल्ली/ ईएमएस/17/ दिसंबर/2025