अंतर्राष्ट्रीय
18-Dec-2025


ढाका,(ईएमएस)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना का यह बयान बांग्लादेश की वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र के भविष्य पर गंभीर बहस को जन्म देता है। उनके तर्कों में निष्पक्षता और वैधता को लेकर जो सवाल उठाए गए हैं, उनके पीछे कई महत्वपूर्ण तर्क शामिल है। उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में चुनाव तब स्वतंत्र और निष्पक्ष माने जाते हैं जब उसमें सभी प्रमुख राजनीतिक विचारधाराओं को भाग लेने का मौका मिले। हसीना का तर्क है कि आवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टियों में से एक है। यदि 2008 के आंकड़ों पर गौर करे तब आवामी लीग का एक बड़ा जनाधार रहा है। एक बड़े वर्ग को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखने का अर्थ है करोड़ों मतदाताओं को अपनी पसंद की सरकार चुनने से वंचित करना। जब एक मुख्य प्रतिस्पर्धी ही मैदान से बाहर हो, तब चुनाव केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाते हैं, जिसे एकतरफा चुनाव कहा जा सकता है। हसीना ने सही इशारा किया है कि यदि विपक्ष के बिना चुनाव होते हैं, तब वैश्विक समुदाय इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाएंगे। पूर्व में भी बांग्लादेश के इसतरह के चुनावों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने में कठिनाई हुई है जहाँ मुख्य विपक्ष ने बहिष्कार किया था। एक प्रतिबंधित दल के बिना चुनी गई सरकार को वैश्विक मंच पर लोकतांत्रिक सरकार के रूप में स्वीकार्यता मिलना मुश्किल होगा। इंटरव्यू में शेख़ हसीना ने प्रशासन पर राजनीतिक दमन के जो आरोप लगाए हैं। यदि चुनावी माहौल में डर और कानूनी मुकदमों का साया है, तो स्वतंत्र प्रचार संभव नहीं है। न्यायपालिका और मीडिया पर नियंत्रण के आरोप यह दर्शाते हैं कि चुनाव के लिए आवश्यक लेवल प्लेइंग फील्ड (बराबरी का मैदान) शायद मौजूद नहीं है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है कि वह कैसे एक ऐसी चुनावी प्रक्रिया को अंजाम दे जिसे देश और दुनिया दोनों निष्पक्ष मानें। यदि वे आवामी लीग पर प्रतिबंध जारी रखते हैं, तब उन पर राजनीतिक एजेंडा चलाने के आरोप लगेगा। आशीष दुबे / 18 दिसंबर 2025