वृक्ष अपने सिर पर गरमी सहता है पर अपनी छाया में दूसरों का ताप दूर करता है। - तुलसीदास माया मरी न मन मरा, मर मर गये शरीर। आशा तृष्ना ना मरी, कह गये दास कबीर? - कबीर ईएमएस / 19 दिस्मबर 25
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