लेख
19-Dec-2025
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अमेरिका में “एप्सटीन फाइलों” में दर्ज अय्याशी के फोटो को लेकर वैश्विक राजनीति, कॉरपोरेट जगत और मीडिया में जबरदस्त हलचल देखी जा रही है। कहा जा रहा है, इन फाइलों में दुनिया के प्रभावशाली नेताओं, उद्योगपतियों और चर्चित हस्तियों के नाम उनके फोटो और वीडियो जिसमें नाबालिग बच्चियों के साथ यौन कृत्य की गाथा दर्ज हैं। इसकी कुछ तस्वीरें व दस्तावेज़ सार्वजनिक होने की चर्चा अमेरिका में है। यह मुद्दा जितना सनसनीखेज़ है, उतना ही संवेदनशील और गंभीर माना जा रहा है। इसमें नाबालिगों के शोषण जैसे जघन्य अपराध के आरोपों के सबूत होने की बात कही जा रही है। सबसे अहम सवाल यह है, इसका सच क्या है, या अफवाह है। किसी भी व्यक्ति का नाम किसी फाइल, कैलेंडर या कथित सूची में होना, अपने-आप में अपराध सिद्ध नहीं करता है। लोकतांत्रिक समाज में कानून का मूल सिद्धांत है, जब तक दोष सिद्ध न हो, तब तक कोई दोषी नहीं माना जाता है। तस्वीरें, संदर्भ और कथन की प्रामाणिकता, संदर्भ और जांच आवश्यक है। बिना सत्यापन के आरोप केवल व्यक्तियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं। न्याय की प्रक्रिया को भी कमजोर करते हैं। इसके बावजूद ऐप्सटीन फाइलों की यह बहस सत्ता और पूंजी के गठजोड़ के साथ-साथ अनैतिकता एवं मानव ट्रैफिकिंग को लेकर जवाबदेही कैसे सुनिश्चित हो। प्रभावशाली लोग अपने आप को कानून से ऊपर समझें, तो लोकतंत्र खोखला हो जाता है। इसमें ब्रिटेन के राजकुमार प्रिंस एंड्रयू, बिल किलिंटन, डोनाल्ड ट्रंप, बिल गेटस, एलन डर्सोविटज, घिसलेन मेक्सवेल, माइकल जेक्सन, डेविड, कोयर फील्ड, लियोनार्डो नाओमी केंपवेल, ल्वेस वेक्सनर तथा भारत के बड़े उद्योगपतियों एवं दो नेताओं के नाम चर्चित हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मांग तेज होती जा रही है कि एप्सटीन के अपराधों की फाइलों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो। पीड़ितों की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। दोष सिद्ध होने पर सख़्त सज़ा दी जाए। चाहे आरोपी कितना भी ताकतवर क्यों न हो। अमेरिका की अदालत और अमेरिका के स्वतंत्र मीडिया की भूमिका यहां पर निर्णायक है। सनसनी फैलाने के बजाय तथ्यों की जांच, स्रोतों की पुष्टि की जांच जरूरी है। संपादकीय विवेक यही कहता है, आरोपों को अदालती जांच के दायरे में रखा जाए। जो आरोप दुनिया भर के राजनेताओं और बड़े-बड़े पूंजीपतियों पर लगाए जा रहे हैं। यह मामला अमेरिका की अदालत में है। अदालत में जिनके नाम आरोप हैं उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका मिले। अभी तक जो प्रारंभिक जानकारी आई है उसमें अमेरिका के बड़े-बड़े राजनेताओं और पूंजीपतियों के नाम है। इस पूरे कांड के मुख्य आरोपी की मौत हो चुकी है। जांच एजेंसियों और अदालत के पास जो सबूत हैं, अब अदालत के विवेक पर होगा, कि वह किस तरह से इस मामले की जांच को आगे बढ़ाए। अदालती सबूत के आधार पर यह मामला बड़ा संवेदनशील हो गया है। इसका असर कई देशों के राजनेताओं और बड़े-बड़े पूंजीपतियों पर पडना तय है। अदालत की इस कार्रवाई से सत्ता और पूंजीपतियों के गठजोड़ को किस तरह से अनैतिक तौर पर एक दूसरे को प्रभावित किया जाता है, यह इसका सबसे बड़ा उदाहरण माना जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, उनका नाम भी चर्चाओं में है। एलन मस्क ने इस मामले की जांच कराने की बात कही थी, लेकिन अब वह इस मामले में कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं। जिस तरह से फोटोग्राफ सामने आ रहे हैं, उसने अमेरिका की राजनीति में भारी हलचल मचा दी है। भारत की राजनीति में भी इस फाइल को लेकर हलचल बढ़ गई हैं। सोशल मीडिया के दौर में जानकारी आग की तरह फैलती है। सोशल मीडिया में कुछ जानकारी सही होती है, कुछ गलत भी होती है। सोशल मीडिया को लेकर प्रामाणिक रूप से कोई बात कहना संभव नहीं हो पाता है। सोशल मीडिया में जो प्रसारित होता है, उसकी बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया तुरंत होती है। यह मामला केवल कुछ नामों या तस्वीरों तक सीमित नहीं है। बल्कि सत्ता और पूंजीपतियों के गठजोड़, कानून व्यवस्था सामाजिक और धार्मिक नैतिकता से जुड़ा हुआ है। अगर कहीं पर भी महिलाओं और छोटे-छोटे बच्चों का यौन शोषण हुआ है, ऐसी स्थिति में उन्हें न्याय मिलना ही चाहिए। अगर आरोप निराधार हैं, तो सच सामने आना चाहिए। लोकतंत्र मे शासन व्यवस्था की सच्चाई, निष्पक्षता और प्रमाणों के साथ सामने आए। जांच, कानून व्यवस्था और अदालतों पर भरोसा रखना ही समझदारी भरा एकमात्र रास्ता है। एप्स्टीन फाइलों को लेकर अमेरिका, भारत, इजराइल एवं अन्य कई देशों में जिस तरह से राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं, उसे देखते हुए कहा जा रहा है, कई देशों के बड़े-बड़े राजनेताओं और पूंजीपतियों को एप्स्टीन फाईलों मे दर्ज अपराध उजागर होने के बाद बड़ा खामियाजा आरोपियों को भुगतना पड़ सकता है। इसको लेकर दुनिया के कई महत्वपूर्ण देशों में राजनीतिक अस्थिरता बढी है। वह चिंता का सबसे बड़ा विषय है। ईएमएस / 19 दिसम्बर 25