आज तक क़ोई अमर नहीँ हो पाया फिर भी लोग राजनीती में इतने उत्साह क्यों दिखाते है जो बरसाती मेडको द्वारा टर्र टर्र करते चुनाव में नजर आते हैँ और जो क्लब होटलो और पार्टियों में चक्कर लगाते नजर आते है ऐ पंडित राम कृष्ण शर्मा आचार्य ने अपनी पुस्तक में लिखा है आखिर कुछ लोग राजनीती में अपने को अमर क्यों समझ लेते है उन्हें शांति से एक पल के लिए सोचना चाहिए अमरता या अमर करने वाला, जो एक दिव्य पेय या पदार्थ है, जिसे पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन से प्राप्त किया गया था और इसे पीकर देवता अमर हो गए थे; यह शब्द मृत्यु नहीं (अ-मृत) से बना है, और इसका अर्थ सुधा, पीयूष, जल, अन्न और ज्ञान भी होता है, जिसे विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक संदर्भों में अमरता, ज्ञान या परम आनंद के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।अमृत को किसी अस्त्र से भी नहीँ ख़त्म किया जा सकता है राम ने रावण को एटम बम से नहीँ बल्कि उससे भी ख़तरनाक हाइड्रोजन बम से अमृत को जला कर भस्म किया था राम के समय का विज्ञान आज से कहीं अधिक विशाल था उनके सबसे बड़े वैज्ञानिक हनुमान जी थे जो हवा में तैरने, सूक्ष्म होने व पहाड़ जैसी शक्तिशाली पहाड़ को हिमालय से भगवान लक्ष्मण को मेघनाथ की वाण से मुरछित होने से जड़ी बूटी की खोज में हनुमान जी हिमालय से लंका लेकर आए मूर्छा हुई या प्राण गई ऐ मेघनाथ को धोखा हुई चूँकि भगवान राम अपने आभा मंडल से उनकी रक्षा की थी और सुबह होते ही युद्ध चालू होता और क़ोई ईश्वर का साक्षात् रूप ना देख ले इसलिए सुबह तक वैध ने लाने को बोला अब यहाँ भी वैध एक चिकित्सा विज्ञान का ज्ञाता ही होगा उसकी समझ लोंगो को हो इसलिए उस प्रभु ने उस चिकित्सा प्रणाली को बताने के लिए किया था क्योंकि रावण को वरदान के अनुसार मनुष्य या जानवर को छोड़ कर क़ोई और नहीँ मार सकता था क्योंकि वो मनुष्य को जानवर ही समझता था इसलिए भगवान ने खुद सृष्टि को बचाने के लिए मनुष्य के रूप में जन्म लेकर रावण का अन्त किया उन्होंने अपने दिव्य धनुष कोदंड से छोड़े गए दिव्य ब्रह्मास्त्र से मारा था, जो हाइड्रोजन बम ही था जिसमें सूरज जैसी प्रकिया होती है और जलकर सब भस्म हो जाता है उस समय नल औऱ नील राम सेतु निर्माण में एक बड़े इंजीनियर के रूप में अहम भूमिका निभाई वहाँ गैप को भरने के लिए गिलहरी को भी अपनी दिव्य हाथों से लकीर खींची थी देखिए उस समय का विज्ञान आज से कई गुना तेज था और इंटेलीजेंट व ऐसी जबरदस्त प्लानिंग थी की भगवान ने ऐ बताया की विज्ञान जो वैज्ञानिक की मेहनत का श्रद्धा और कड़ी टक्कर का परिणाम होता है उसे अपने धर्म की रक्षा करो इसका सूत्र दूसरे के हाथ नहीँ लगना चाहिए नहीँ तो उसकी मेहनत पानी में चली जाएगी इसलिए बहुत ही सीक्रेट योजना से हर काम को समय रहते ही कुशलता से पूर्ण किया राम का नाम मात्र से शरीर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैँ रावण के पास भी एक से बढ़ कर एक वैज्ञानिक औऱ गुप्तचर थे लेकिन चूँकि वो विनाश के रास्ते पर बुद्धि भ्रमित हो गई और अहंकार हो गया और रावण जो अमृत का पान किया और नाभि में गई वो ऐ समझ बैठा की जो हैँ सो हमी है संसार के मालिक और यही भ्रम से घमंड हुआ बुद्धि भ्रमित हुई माता सीता का हरण किया और भगवान राम ने एक ऐसे अस्त्र से उनके नाभि पर बाण मारा जो पलक झपकते ही उस दिव्य वाण से मारा गया लेकिन वो भी शक्तिशाली था और दम तोड़ने से पहले राम को साक्षात ईश्वर के रूप में देख कर छमा माँगा क्योंकि वो मोक्ष चाहता था, रावण की नाभि में स्थित अमृत कुंड को सुखाकर उसका वध करने में सक्षम था, क्योंकि रावण के पास अलौकिक शक्तियां थीं और उसे सामान्य अस्त्रों से मारना असंभव था। विभीषण ने राम को बताया था कि रावण की नाभि में एक अमृत कलश (अमृत कुंड) है, जिसे नष्ट किए बिना उसका वध नहीं किया जा सकता। ने अपने कोदंड धनुष से ब्रह्मास्त्र (या अन्य दिव्य बाण हाइड्रोजन बम जैसा ) का प्रयोग किया, जो सीधा नाभि पर लगा। इस दिव्य बाण ने अमृत कुंड को सुखा दिया, जिससे रावण का अंत हो गया। एटम बम (परमाणु बम) आधुनिक विज्ञान की देन है। पौराणिक कथाओं में दिव्य अस्त्रों (जैसे ब्रह्मास्त्र, नारायणास्त्र) का वर्णन है, जिनकी शक्ति आधुनिक बमों से कहीं अधिक थी और जो दिव्य शक्तियों के लिए बने थे, न कि आम हथियारों के लिए। रावण को सामान्य अस्त्रों से नहीं मारा जा सकता था, उसे हराने के लिए विशेष दिव्य अस्त्रों की आवश्यकता थी, जो राम के पास थे।गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैँ कलयुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। कलयुग में केवल भगवान के नाम का ही सहारा है, और इस नाम का बार-बार स्मरण (जप) करने से मनुष्य भवसागर (जन्म-मृत्यु के चक्र) से पार हो सकता हैकलयुग में केवल भगवान के नाम का ही सहारा है, और इस नाम का बार-बार स्मरण (जप) करने से मनुष्य भवसागर (जन्म-मृत्यु के चक्र) से पार हो सकता है। यह चौपाई कलयुग में भगवान के नाम-जप के महत्व और उसकी महिमा को दर्शाती है, जिससे बिना किसी बड़े कर्मकांड के भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है प्रभु बहुत कुछ छुपा हुआ है इस विधान में मुख्य लक्ष्य है स्वरूप प्राप्ति या कहे प्राप्त की प्राप्ति।। अब इस मार्ग को जितना जटिल समझोगे ये उससे भी अधिक जटिल बन जाएगा । और जितना सरल तो इससे सरल कुछ है नहीं। [सबने कहा तू ब्रह्म है अब स्वयं को ब्रह्म मानना है बस गर्दन सब हिलाते मानता कोई कोई बिरला ही है। संसार ने कहा ये पुत्र हैं मान लिया ये पिता है मान लिया ये माता हैं मान लिया। ये भगवान है ये भी मान लिया ।। 2 को सब जगह मान लोगे।। गुरु ने कहा तू ब्रह्म है। सब एक ही हैं।। गर्दन सब हिलाते है पर अंदर से मानते नहीं की आखिर भगवान राम हैँ कितने शक्तिमान जो कट्टरवादी नहीँ उदारवादी हैं परमात्मा दया और करुणा के स्वामी और अन्तर्यामी भगवान राम ।। राम नाम से सरल क्या होगा।। अब बौद्धिक विलास में तो कोई अंत नहीं है।।अतः आज तो राजनीति में अपने को धुरंधर समझ रहें है कल उसका भी अन्त होगा सही में अच्छा किया होता तो इतने विरोधी नहीँ होते विरोध भगवान राम का हिन्दू धर्म में किसी ने नहीँ किया क्योंकि वो छल से नहीँ विश्वास से लोंगो को सच्चा रास्ता दिखाया और विज्ञान का सम्मान किया वैज्ञानिक जो रियल में काम करते हैँ वो भी संत ही है जो जनकल्याण हेतु ही किसी के जान बचाने की दवाई बना देते हैँ किसी को गर्मियों से एयर कंडीशन से राहत देते हैँ किसी को हवा में प्लेन उड़ा कर घंटो में अपने परिजनों से मिला देते हैँ क़ोई रोशन करता रात में बिजली और कई उद्योग से लोंगो की रोजी रोजगार चलती है लेकिन सभी को मौका देते हैँ कई वैज्ञानिक हुए और उनका इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज है लेकिन पूँजीपति कभी राजा होते हैँ और रंक भी हो जाते हैँ इसलिए जनहित में वैज्ञानिक का सम्मान करना भगवान राम ने ही सिखाया है और काम हेतु अच्छे प्लानिंग जिसके लिए उनके टीम में जामवंत की प्लांनिंग से ही एक कठिन काम राम सेतु और बड़े वैज्ञानिक हनुमान का हौसला बढ़ाने की गूंज ऐ दर्शाता है कि उन्होंने उनको जगाया इसलिए क्योंकि उनमें ऐ ताकत थी समुद्र में एक लम्बी छलांग लगाने अब आप किसी श्रीषि मुनि का श्राप का कारण समझें या उत्साह बढ़ाने की योजना, आज कलियुग में आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य में विकास दिव्य कीर्ति की बातों का कोई खास महत्व नहीं लगता मुझे लगता है राजनीति में राजनेता ही विकास कर सकता है लेकिन ये कोई आध्यात्मिक व्यक्ति नहीं हैं ये लोग स्वयं को विद्वान समझकर ,ज्ञानी समझने लगते हैं ऐ उसी भगवान राम की कृपा है किसी भी युग में कोई भी घटना क्यों घटित हुई उसके पीछे मूल कारण को तो जान नहीं पाते प्रज्ञा जाग्रत है नहीं छोटी बुध्दि से शास्त्रों को पढ़कर शब्दार्थ से समझने की मूर्खता करते रहते हैं गूढार्थ नहीं समझ पाते हैं गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैँ कलयुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। कलयुग में केवल भगवान के नाम का ही सहारा है, और इस नाम का बार-बार स्मरण (जप) करने से मनुष्य भवसागर (जन्म-मृत्यु के चक्र) से पार हो सकता हैकलयुग में केवल भगवान के नाम का ही सहारा है, और इस नाम का बार-बार स्मरण (जप) करने से मनुष्य भवसागर (जन्म-मृत्यु के चक्र) से पार हो सकता है। यह चौपाई कलयुग में भगवान के नाम-जप के महत्व और उसकी महिमा को दर्शाती है, जिससे बिना किसी बड़े कर्मकांड के भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है प्रभु राम के नाम में बहुत कुछ छुपा हुआ है इस विधान में मुख्य लक्ष्य है स्वरूप प्राप्ति या कहे प्राप्त की प्राप्ति।। अब इस मार्ग को जितना जटिल समझोगे ये उससे भी अधिक जटिल बन जाएगा । और जितना सरल तो इससे सरल कुछ है नहीं। [सबने कहा तू ब्रह्म है अब स्वयं को ब्रह्म मानना है बस गर्दन सब हिलाते मानता कोई कोई बिरला ही है। संसार ने कहा ये पुत्र हैं मान लिया ये पिता है मान लिया ये माता हैं मान लिया। ये भगवान है ये भी मान लिया ।। 2 को सब जगह मान लोगे।। गुरु ने कहा तू ब्रह्म है। सब एक ही हैं।। गर्दन सब हिलाते है पर अंदर से मानते नहीं की आखिर भगवान राम हैँ कितने शक्तिमान जो कट्टरवादी नहीँ उदारवादी हैं परमात्मा दया और करुणा के स्वामी और अन्तर्यामी भगवान राम ।। राम नाम से सरल क्या होगा।। अब बौद्धिक विलास में तो कोई अंत नहीं है।।अतः आज तो राजनीति में अपने को धुरंधर समझ रहें है कल उसका भी अन्त होगा सही में अच्छा किया होता तो इतने विरोधी नहीँ होते विरोध भगवान राम का हिन्दू धर्म में किसी ने नहीँ किया क्योंकि वो छल से नहीँ विश्वास से लोंगो को सच्चा रास्ता दिखाया और विज्ञान का सम्मान किया वैज्ञानिक जो रियल में काम करते हैँ वो भी संत ही है जो जनकल्याण हेतु ही किसी के जान बचाने की दवाई बना देते हैँ किसी को गर्मियों से एयर कंडीशन से राहत देते हैँ किसी को हवा में प्लेन उड़ा कर घंटो में अपने परिजनों से मिला देते हैँ क़ोई रोशन करता रात में बिजली और कई उद्योग से लोंगो की रोजी रोजगार चलती है लेकिन सभी को मौका देते हैँ कई वैज्ञानिक हुए और उनका इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज है लेकिन पूँजीपति कभी राजा होते हैँ और रंक भी हो जाते हैँ इसलिए जनहित में वैज्ञानिक का सम्मान करना भगवान राम ने ही सिखाया है और काम हेतु अच्छे प्लानिंग जिसके लिए उनके टीम में जामवंत की प्लांनिंग से ही एक कठिन काम राम सेतु और बड़े वैज्ञानिक हनुमान का हौसला बढ़ाने की गूंज ऐ दर्शाता है कि उन्होंने उनको जगाया इसलिए क्योंकि उनमें ऐ ताकत थी समुद्र में एक लम्बी छलांग लगाने अब आप किसी श्रीषि मुनि का श्राप का कारण समझें या उत्साह बढ़ाने की योजना, आज कलियुग में आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य में विकास दिव्य कीर्ति की बातों का कोई खास महत्व नहीं लगता मुझे लगता है राजनीति में राजनेता ही विकास कर सकता है लेकिन ये कोई आध्यात्मिक व्यक्ति नहीं हैं ये लोग स्वयं को विद्वान समझकर ,ज्ञानी समझने लगते हैं ऐ उसी भगवान राम की कृपा है किसी भी युग में कोई भी घटना क्यों घटित हुई उसके पीछे मूल कारण को तो जान नहीं पाते प्रज्ञा जाग्रत है नहीं छोटी बुध्दि से शास्त्रों को पढ़कर शब्दार्थ से समझने की मूर्खता करते रहते हैं गूढार्थ नहीं समझ पाते हैं अतः अमर होने की मूर्खता और राजनीती का सच क्या है ऐ अब जनता जान गई है। ईएमएस / 20 दिसम्बर 25