20-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की, आदेश की अवहेलना और सार्वजनिक मार्ग बाधित करने के मामले में कांग्रेस नेत्री अलका लांबा के खिलाफ मुकदमा चलेगा। राउज एवेन्यू कोर्ट स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अश्वनी पंवार की अदालत ने अलका लांबा के खिलाफ आरोप तय करते हुए उनकी डिस्चार्ज (कार्यवाही समाप्त करने) की अर्जी को खारिज कर दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद वीडियो साक्ष्य, शिकायतकर्ता और अन्य पुलिसकर्मियों के बयान प्रथमदृष्टया संदेह उत्पन्न करते हैं, जिसके आधार पर इस स्तर पर आरोप तय किए जा सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोप तय करने के चरण में साक्ष्यों की गहन जांच नहीं की जाती, बल्कि यह देखा जाता है कि क्या अभियोजन के पास ऐसा पर्याप्त आधार है, जिससे मुकदमें की सुनवाई आगे बढ़ाई जा सके। इसी के साथ ही अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, कि उपलब्ध वीडियो फुटेज में अलका लांबा को पुलिस बैरिकेड्स कूदते हुए, पुलिसकर्मियों को धक्का देते हुए और अन्य प्रदर्शनकारियों को भी बैरिकेड्स पार करने के लिए संकेत करते हुए देखा जा सकता है। कोर्ट के अनुसार, इन दृश्यों से यह संकेत मिलता है कि निषेधाज्ञा के बावजूद प्रदर्शन को आगे बढ़ाया गया और सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित हुई। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष को अपना मामला साबित करने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। यह मामला 29 जुलाई 2024 को जंतर-मंतर पर हुए उस प्रदर्शन से जुड़ा है, जो कांग्रेस महिला इकाई द्वारा महिला आरक्षण के समर्थन में आयोजित किया गया था। आरोप है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बीएनएसएस की धारा 163 के तहत लागू निषेधाज्ञा के बारे में पहले ही अवगत करा दिया था और उन्हें समझाने का प्रयास भी किया गया था। इसके बावजूद अलका लांबा सहित अन्य कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आगे बढ़कर घेराव करने की कोशिश की, बैरिकेड्स पार किए और सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध किया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि अलका लांबा ने प्रदर्शनकारियों को उकसाया, पुलिस की ड्यूटी में बाधा डाली और सड़क पर लेटकर रास्ता जाम कराया। अभियोजन के अनुसार, इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का खतरा पैदा हुआ। वहीं, बचाव पक्ष ने अदालत में तर्क दिया कि प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था, मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है और वीडियो साक्ष्यों में स्पष्ट रूप से धक्का-मुक्की नहीं दिखाई देती। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि किसी भी पुलिसकर्मी को चोट लगने का कोई भी मेडिकल रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया है, जिससे आरोप कमजोर होते हैं। हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को आरोप तय करने के स्तर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि इन सभी बिंदुओं पर विस्तृत विचार मुकदमे के दौरान किया जाएगा। इसके साथ ही अदालत ने अलका लांबा की डिस्चार्ज याचिका खारिज करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया। हिदायत/ईएमएस 20दिसंबर25