ढाका,(ईएमएस)। उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका ऊपर से भले ही शांत दिखाई दे रही हो, लेकिन यह शांति भय, तनाव और अनिश्चितता से भरी हुई है। सड़कों पर सन्नाटा है, विश्वविद्यालय परिसरों से लेकर मीडिया संस्थानों तक दहशत का माहौल बना हुआ है। जानकार कहते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है, जबकि शहर के संवेदनशील इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। दरअसल, 18 दिसंबर की रात सिंगापुर में इलाज के दौरान उस्मान हादी की मौत की खबर सामने आते ही हालात तेजी से बिगड़ गए। जैसे ही उनके निधन की सूचना फैली, ढाका की सड़कों पर उग्र भीड़ उतर आई। शुरुआत में विरोध प्रदर्शन के रूप में सामने आई भीड़ जल्द ही हिंसक हो गई। मीडिया संस्थानों, सांस्कृतिक केंद्रों और अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाकर तोड़फोड़ और हमले किए गए। हादी के शव को सुपुर्द-ए-खाक करने के बाद हालात पर कुछ हद तक काबू पाया गया है। कई इलाकों में सड़कें शांत नजर आ रही हैं और बाजारों में सीमित गतिविधियां दिख रही हैं। रविवार के अधिकांश अखबारों में हादी की अंत्येष्टि से जुड़ी खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की गईं हैं, लेकिन शहर के अलग-अलग हिस्सों में अब भी विरोध प्रदर्शन और आक्रोश की घटनाएं सामने आ रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शांति अस्थायी है और किसी भी वक्त हालात फिर से बिगड़ सकते हैं। हिंसा के दौरान जिस तरह स्वतंत्र मीडिया को निशाना बनाया गया, उसने बांग्लादेश के लोकतांत्रिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अल्पसंख्यकों में चिंता का माहौल अल्पसंख्यक इलाकों में स्थिति और भी चिंताजनक है। हिंदू समुदाय के कई परिवार घरों में ही रहने को मजबूर हैं। मंदिरों और संवेदनशील इलाकों के बाहर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया गया है। प्रशासन का दावा है कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है, लेकिन आम नागरिकों के मन से डर अभी दूर नहीं हुआ है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भले ही बांग्लादेश की सड़कों में सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन युवाओं के गुस्से से लबरेज ज्वालामुखी कब सक्रिय हो जाए कहा नहीं जा सकता है। हिदायत/ईएमएस 21दिसंबर25