बिलासपुर (ईएमएस)। कला मंजरी कथक संस्थान द्वारा देवकीनंदन दीक्षित सभागार में नाट्य रूपक युगांतर एक गाथा की प्रभावशाली प्रस्तुति दी गई। यह प्रस्तुति कथक नृत्य की बदलती यात्रा को वैदिक काल से लेकर वर्तमान युग तक संगीत और नृत्य के माध्यम से जीवंत रूप में दर्शाने का अनूठा प्रयास रही। कार्यक्रम का शुभारंभ पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज के शिष्य रितेश शर्मा द्वारा ओडिसी शैली में मंगलाचरण से हुआ। इसके बाद उन्होंने कथक नृत्य के उद्भव, विकास और विभिन्न शैलियों पर सारगर्भित व्याख्यान भी प्रस्तुत किया। कथक की यात्रा का संगीत-नृत्यात्मक चित्रण करीब दो घंटे लंबे इस नाट्य रूपक में नाद, कीर्तन, स्तुति, भजन, दरबारी नृत्य, शुद्ध नृत्य, तराना, ठुमरी, बंदिश से लेकर हिंदी फिल्मों और आधुनिक फ्यूजन तक कथक की विविध शैलियों को क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया गया। नृत्य, संगीत, कविता, नाट्य, साउंड और लाइट के संयोजन ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। कलाकारों की प्रस्तुतियों ने मोहा मन इस प्रस्तुति में डॉ. स्वप्निल कर्माहे, कोलकाता से आए अंबरीज सरकार, मानसी, सायंतनी, तनुश्री चौहान, डॉ. विनीता, काजल, कौशिक, अपूर्वा सिंह, श्रीता देवांगन सहित अनेक कलाकारों ने मंच पर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। अंत में सभी कलाकारों द्वारा एक साथ प्रस्तुत तत्कार कार्यक्रम का यादगार उपसंहार बना।कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. अजय श्रीवास्तव ने प्रस्तुति की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए इसे नई पीढ़ी के संस्कारों से जोडऩे वाला बताया। वहीं गुरु रामलाल बरेठ ने इसे विशेष उपलब्धि बताते हुए कलाकारों को आशीर्वाद दिया। संगीत, निर्देशन और परिकल्पना रही विशेष कार्यक्रम का संगीत पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज एवं पद्मश्री प्रताप पवार की रचनाओं पर आधारित रहा। संपूर्ण संगीत संयोजन, स्क्रिप्ट, निर्देशन एवं परिकल्पना रितेश शर्मा की रही, जबकि मंच, लाइट और साउंड का दायित्व अरुण भांगे ने संभाला। विदुषी ममता महाराज के नृत्य निर्देशन ने प्रस्तुति को और भी विशिष्ट बना दिया। ये लोग रहे उपस्थित कार्यक्रम में पद्मश्री रायगढ़ घराने के नृत्याचार्य गुरु रामलाल बरेठ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में डॉ. विनय पाठक एवं डॉ. रमन कटारिया शामिल रहे। सांस्कृतिक अतिथि के रूप में श्रद्धा पांडे सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। मनोज राज/योगेश विश्वकर्मा 23 दिसंबर 2025