लेख
24-Dec-2025
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बांग्लादेश में हिन्दूओं के साथ बर्बरता हैवानियत आम बात है 1972 से लेकर 1924 तक बांग्लादेश में 17 बड़ी हिंसा दंगे की घटना हुई है इन सभी में हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार माब लिंचिग हिन्दू मंदिरों में तोड़फोड़ आगजनी हिन्दुओं के मौहललों में सामूहिक लूटपाट आगजनी बलात्कार बर्बरता हत्याओं का अतीत दर्ज है। इन दिनों हिंसा मुख्य रूप से छात्र आंदोलन के बाद भड़‌की है, जिसमें भारत-विरोधी भावनाएं, जमात-ए-इस्लामी जैसी कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव और राजनीतिक अस्थिरता दिख रही है, जिसके कारण मीडिया डेली स्टार, प्रोथोम आलो पर हमले, हिन्दू युवक की हत्या और विशेष तौर पर हिन्दू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों ने चिंता जताई है और निष्पक्ष जांच व मानवाधिकारों के सम्मान की अपील की है। लेकिन इस के खिलाफ किसी भी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई है। आपको बता दें पिछले कई सालों से कट्टरपंथी मजहबी हिंसक उन्मादी तत्व कोई भी प्रदर्शन मुद्दा उछाल कर हिन्दू लोगों का बर्बरता के साथ कत्ल और उनके मंदिरों संस्थानों दुकानों घरों में लूटपाट आगजनी करते हैं। हिन्दुओं की नाबालिग लड़कियों को अपहरण कर यौन शोषण और जबरन मुस्लिम के साथ निकाह कराने की वारदातों की झड़ी लगी है। शायद यही वजह है कि 1972 में विभाजन के समय आबादी का अनुपात 76 फीसद मुसलिम और 23 फीसदी हिन्दू आबादी आज 91फीसद मुस्लिम और हिन्दू आबादी घट कर 8 फीसद हो चुकी है। यह भी जान लीजिए कि अधिकांश हिन्दू आबादी दलित और पिछड़े वर्ग से संबंधित है जिस पर पिछले पचास साल से लगातार मजहबी कट्टरपंथी जुल्म और बर्बरता भरी हैवानियत का शिकार बनाते रहे हैं। आप को पता है कि बंगलादेश की राजनीति को बेगमों की लड़ाई के नाम से जाना जाता था, जो 1971 से अब तक 2 महिलाओं शेख हसीना तथा खालिदा जिया पर केंद्रित रही है परंतु अब इसमें एक बदलाव आने की संभावना है। दोनों के ही बेटे विदेश में हैं और दोनों ही बेगमें गंभीर रूप से बीमार पड़ी हैं। इनमें से खालिदा जिया अपने देश में और भारत में निर्वासन झेल रही शेख हसीना फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रही हैं। बहरहाल मौजूदा घटनाक्रम में हादी के राजनीतिक रुख और गतिविधियों के संबंध में किसी भी असहमतिपूर्ण राय का खंडन करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। जो लोग इस प्रक्रिया का पालन नहीं करते और असहमति को दबाने के लिए हत्या का रास्ता चुनते हैं, वे लोकतंत्र के दुश्मन हैं, वे फासीवादी हैं। ये हत्यारे लोकतंत्र को नष्ट करना चाहते हैं। हादी की हत्या की सुनियोजित साजिश मात्र चुनाव में गड़बड़ी करने का प्रयास नहीं है; अब यह और भी स्प्ष्ट हो रहा है कि बांग्लादेश को अस्थिर करने और उसे एक विफल राज्य में बदलने के लिए एक गहरी साजिश रची जा रही है। बांग्लादेश जेएसडी के अध्यक्ष शरीफ नूरुल अंविया और महासचिव नजमुल हक प्रधान ने एक संयुक्त बयान में कहा है, बांग्लादेश जेएसडी का मानना है कि इस देश में जन विद्रोह राजनीतिक हत्याओं, गुमशुदा लोगों की हत्याओं और दमन के खिलाफ संगठित किया गया था। उस काले अध्याय को फिर से लाने के किसी भी प्रयास को सशक्त और एकजुट लोकतांत्रिक प्रतिरोध के माध्यम से रोका जाना चाहिए। बांग्लादेश जेएसडी का कहना है, हादी की हत्या के इर्द-गिर्द केंद्रित संगठित साजिशकर्ताओं के एक समूह ने डेली प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के कार्यालयों, बंगबंधु भवन, छायानाट सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मीडिया और सांस्कृतिक संस्थानों में सुनियोजित रूप से आगजनी, लूटपाट और हमले किए हैं। संपादकों की परिषद के अध्यक्ष नूरुल कबीर की हत्या का भी प्रयास किया गया है। सांप्रदायिक विरोधी और उग्रवाद विरोधी आंदोलन के नेता, बांग्लादेश जसद सेंट्रल के संयुक्त महासचिव जाकिर अहमद के व्यापारिक प्रतिष्ठान पर सिलहट में हमला किया गया है। ये हमले स्वतंत्र पत्रकारिता, संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों और गैर-सांप्रदायिक राजनीति पर सीधा प्रहार हैं। हादी की मौत की खबर के बाद फैले आक्रोश और विरोध प्रदर्शनों के बीच, बांग्लादेश जेएसडी ने समाचार मीडिया सहित विभिन्न प्रतिष्ठानों पर हमलों के लिए गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी को हटाने की मांग की है। हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों से पुरजोर मांग करते हैं कि ये मूकदर्शक बने रहने के बजाय हिंसक और अराजक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के लिए गृह मामलों के सलाहकार जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। हम गृह मामलों के सलाहकार को हटाने की मांग करते हैं। दरअसल, पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) अब बांग्लादेश में सक्रिय अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) और अन्य रोहिंग्या संगठनों के साथ अपना गठजोड़ और मजबूत कर रही है। फोर ब्रदर्स अलायंस नाम के इस गठजोड़ में एआरएसए, रोहिंग्या सॉलिडैरिटी ऑर्गेनाइजेशन (आरएसओ), इस्लामी महाज और अराकान नेशनल डिफेंस फोर्स (एएनडीएफ) जैसे ग्रुप्स शामिल हैं। कहा जा रहा है कि आईएसआई इन समूहों को मिलाकर इस पूरे क्षेत्र को अस्थिर करने की योजना बना रही है और दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से उसकी इस साजिश में बांग्लादेश उसका प्रमुख ऑपरेशनल बेस बनता जा रहा है। कॉक्स बाजार, जहाँ लाखों रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं अब आईएसआई समर्थित आतंकी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन चुका है। रिपोर्ट्स के अनुसार, आईएसआई वहां के रिफ्यूजी शिविरों और आसपास के इलाकों को टेरर हम में बदल रही है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी स्थानीय जिहादी नेटवर्क का इस्तेमाल कर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक घुसपैठ और स्लीपर सेल्स तैयार करने की कोशिश कर रही है। अगर ये जानकारियां सच है, तो पाकिस्तान की ये हरकत पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। चटग्राम, खासकर चिट्टगांग हिल ट्रैक्ट्स, लंबे समय से जातीय तनाव, जमीन के विवाद और अलगाववादी हिंसा का शिकार रहा है। 1997 का शांति समझौता भी अब अपूरा छूट गया है। इस समझौते का मकसद था स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना, लेकिन अब इसके असफल होने के चलते, विश्वास की कमी और ज्यादा बढ़ी है। इसके उलट, वहां सेना का बढ़ता दखल, मानवाधिकार हनन, एनकाउंटर, गायब होने की घटनाएं और महिलाओं पर अत्याचार जैसी रिपोर्टी ने माहौल और बिगाड़ दिया है। सुरक्षा बलों पर यह आरोप है कि वे आदिवासी समुदायों को बंगाली बसावटों और चरमपंथियों से नहीं बचा पा रहे। इन सब वजहों से चटग्राम अब उग्रवाद के लिए एक आसान निशाना बन चुका है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान की आईएसआई अब एआरएसए और आरएसओ जैसे संगठनों के साथ मिलकर कॉक्स बाजार में अपने ऑपरेशन्स चला रही है। खुफिया रिपोर्टी के मुताबिक, आईएसआई ने लश्कर ए तैयबा और अंसरुल्लाह बांग्ला टीम जैसे नेटवर्कर्स के साथ मिलकर हथियार, ट्रेनिंग और फंडिंग मुहैया कराई है। इनका लक्ष्य है रिफ्यूजी कैंप्स में कट्टरपंथ बढ़ाना, बांग्लादेश के दक्षिण पूर्वी हिस्से में अस्थिरता पैदा करना, और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अशांति फैलाना। कॉक्स बाजार में मौजूद 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी अब भर्ती और घुसपैठ के लिए आसान टूल बन चुके हैं। खुफिया खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आईएसआई समर्थित समूह जैसे एआरएसए और रोहिंग्या आर्मी अब चिटगाँग हिल ट्रैक्ट्स को टेरर जोन में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। 2023 से अब तक इन समूहों द्वारा सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों पर 150 से ज्यादा हमले किए जा चुके हैं। इनका मकसद है कि आदिवासी समुदायों जैसे चकमा, मर्मा और त्रिपुरा को उनकी जमीन से बेदखल कर क्षेत्र पर कब्जा जमाना। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 10,000 से ज्यादा आदिवासी परिवार अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। इस पूरी साजिश का उद्देश्य इन इलाकों में सरकार के नियंत्रण को कमजोर करना और शांति समझौते को पूरी तरह असफल बनाना है। दरअसनल आईएसआई की साजिश बांग्लादेश को एक असफल राष्ट्र बनाना तो है ही साथ ही बांग्लादेश को एक स्टेजिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल करने की है, ताकि वहां से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठ और स्लीपर सेल्स बनाए जा सके। भारत की सुरक्षा एजेंसियां पहले ही ऐसे कई मॉड्यूल्स का भंडाफोड़ कर चुकी हैं जिनका सीधा संबंध बांग्लादेशी नेटवर्क से था। यह गठजोड़ न सिर्फ बांग्लादेश को अस्थिर कर रहा है बल्कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। जातीय असंतोष, सीमाई अस्थिरता और बाहरी दखल के जरिए ये समूह क्षेत्र में लगातार असुरक्षा का माहौल बना रहे हैं। यानी आईएसआई और रोहिंग्या आतंकी संगठनों के बीच बढ़ता गठजोड़ दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। इस नेटवर्क ने कॉक्स बाजार को भर्ती और ऑपरेशन हब में बदल दिया है और चि‌गांग हिल ट्रैक्ट्स में हिंसा को भड़काया है। बांग्लादेश में अधूरे शांति समझौते, बढ़ती सैन्य मौजूदगी और आदिवासी समुदायों की अनदेखी ने आतंकियों को जमीन दी है। भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए जरूरी है कि वे खुफिया सहयोग, नीति समन्वय और सामाजिक सुधारों पर मिलकर काम करें। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्र मानवाधिकार संकट, उग्रवाद और बाहरी हस्तक्षेप के दलदल में फंस सकता है। जो पूरे दक्षिण एशिया की शांति और सुरक्षा को लंबे समय तक प्रभावित करेगा।इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई कहती है। शेख हसीना को सत्ता से हटाने वाले आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाने वाले छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की गोली मार कर हत्या करने वाला व्यक्ति अवामी लीग के छात्र विंग का सदस्य है तथा एक अन्य छात्र नेता महफूज आलम ने इस हत्या का बदला लेने की चेतावनी दे रखी है। रहमान ने हालांकि कम आक्रामक रुख अपनाया है लेकिन उन्होंने चुनाव में रुकावट डालने की साजिश रचने वालों को चेतावनी दे दी है। हादी के अंतिम संस्कार के बाद हिंसक भीड़ ने बंगलादेश भर में इमारतों को जलाया, भारतीय दूतावास को निशाना बनाया, हिंसा की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग भी की, परन्तु कुछ यह भी मान रहे हैं कि दक्षिणपंथी पार्टियां, जो पाकिस्तान से समर्थन ले रही हैं या फिर यूनुस खुद नहीं चाहते कि चुनाव हो।सवाल उठता है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को कब तक बर्बरता हैवानियत का शिकार बनाया जाता रहेगा और भारत सरकार कब तक मूकदर्शक बनी रहेगी? जबकि इस देश की बुनियाद भारत की मदद के बिना संभव नहीं थी। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं) ईएमएस / 24 दिसम्बर 25