मात्र 2 सीट से सत्ता तक पहुंचना अटलजी की मेहनत ही पार्टी को आज सत्ता के शिखर तक ले आई है क्योंकि जड़ तो उन्होंने ही मजबूत किया। ब तक का सबसे महान प्रधानमंत्री स्व अटलजी हैँ उस समय 1985 के दौर में कांग्रेस की ऐसी ,सुनामी थी कि कितनी पार्टी ने अपना वजूद ही को दिया सिख दंगा और इंदिरा गांधीजी की सिखों की हत्या के बाद स्व राजीव गाँधी के नेतृत्व में चुनाव 1985 में बीजेपी को मात्र दो सीट मिले और कितनी पार्टियों की जमानत जप्त हो गई थी बीजेपी में मायुषी थी विपक्ष था ही नहीँ क्योंकि कांग्रेस जो राजीव गांधीजी सरकार विपक्ष का नामो निशान मिट गया क्योंकि कांग्रेस को ही 470 सीट मिले उस समय बीजेपी कहाँ थी फिर भी अटलजी ने काफी मेहनत की मुझे याद है की पटना में 1987 के दौर में अटलजी जब पटना सिटी के मंगलतालाब में धोती कुर्ता पहनकर भाषण देने आते थे तो फ़िल्म स्टार शत्रुधन सिन्हा भी साथ रहते थे और लोग शत्रुधन सिन्हा को देखने काते थे और मुझे दादाजी ने अटलजी के साथ मिलाया और पानी चाय का इंतजार करता था और शथुधन सिन्हा डायलॉग बोलते और बाद में अटलजी का भाषण सुन कर लोग मन्त्रमुखद्ध यानि काफी उत्साह में रहते थे 1990 के चुनाव में स्व बी पी सिंह ने कांग्रेस में बोफोर्स का मुद्दा उछाला और उसी पर टूट पड़े लेकिन उस समय बीजेपी ने वह मुद्दा नहीँ राममंदिर का मुद्दा उठाया था 1990 के चुनाव में कॉग्रेस अल्पमत में आई लेकिन सत्ता के लिए कुछ ही सीटों का अंतर था लेकिन स्व राजीव गांधीजी ने जोड़ तोड़ ना कर सरकार नहीँ बनाई और पहली बार गैर कांग्रेस के जनता दल और अन्य पार्टियों के सहयोग से बी पी सिंह प्रधानमंत्री बने लोंगो में काफी उत्साह था लेकिन यही राजनीती में देश में मंडल कमीशन की आग में बी पी सिंह ने झोक दिया नतीजा बीजेपी ने कमंडल की राजनीती की और लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ निकाला और उसे देखने दादाजी के साथ मै भी गया काफी भीड़ थी और जैसे ही बिहार में लालूजी की सरकार ने रथ रोका वैसे ही बीजेपी ने जो उस समय बाहर से समर्थन डे रही थी जिसके पास 85 सांसद थी समर्थन बापस लिया और सरकार गिरी उसके बाद जनता दल ही टूट गई और कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दे कर जब जनता दल टूटी तो मात्र 90 सांसद के साथ कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर को भी प्रधानमंत्री बनाया इसतरह कांग्रेस की छवि ख़राब हुई और लोंगो का जनता दल से भरोसा उठा और 1991 में राजीव गांधीजी की हत्या हुई और यहीं से देश गरबड़ा गया बाद में चुनाव में बीजेपी उतनी सीट तो नहीँ ला पाई लेकिन कांग्रेस को बहुमत के अंको से 4 - 6 ही कम था इसलिए कुछ पार्टियों को तोड़कर कांग्रेस ने नरसिंघाराव को प्रधानमंत्री बनाया क्योंकि सोनिया गाँधी पर शरद पवार जो उस समय पार्टी के गद्दावर नेता थे ने विदेशी कहकर सोनिया के प्रधानमंत्री बनने के मनसूबे पर पानी फेर दिया और 1991 में राजीव गाँधी की हत्या के बाद नरसिंघाराव प्रधानमंत्री बने उस समय बीजेपी को 120 सीट मिले थे 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिराने में बी जे पी की अहम भूमिका थी और बाद में जब 1996 में चुनाव हुए तो बीजेपी को 165 सीट मिली और सबसे बड़े दल होने के नाते राष्ट्रपति ने सरकार बनाने का निमंत्रण बीजेपी ने सरकार बनाई और मात्र 13 दिनों में ही सरकार गिर गई बाद में कांग्रेस ने कभी देवगौड़ा, कभी गुजरात को समर्थन देकर सरकार बनाई और प्रधानमंत्री बनने का दौर चलता रहा बाद में राष्ट्रपति शासन लगा और और 1998 में बीजेपी ने एक एनडीए गठबंधन बनाया , और एन डी ए में जेडी यू, शिव सेना, अकाली दल, तृणमूल कांग्रेस, ऐआईआईडीएमके आदि पार्टी शामिल थी और एनडीए को बहुमत मिली और बाजपेई जी प्रधानमंत्री बने प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे बड़ा और एक ऐसा कदम उठाया जो क़ोई भी पूर्व प्रधानमंत्री नहीँ कर पा रहा था 11 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण देश में उनके प्रति जो विज्ञान के प्रति विश्वास पैदा हुए और वैज्ञानिक का विश्वास उन पर काफी अधिक था और ऐ निर्णय अमेरिका के दबाब के बाद लिया गया ऐ क़ोई भी प्रधान मंत्री नहीँ कर पाया और आगे क़ोई भी नहीँ कर पायेगा क्योंकि पार्टी सोचेगी इससे हमें क्या फायदा होगा आज कागजी शेर मीडिया और कितने न्यूज़ पेपर के दया दृष्टि से भले ही किसी को अजेय और प्रधान मंत्री की तुलना भगवान से कर दे लेकिन हकीकत में अटलजी ने उस समय किया वो इतिहास में दर्ज हो गया ना तो उन्होंने किसी विपक्षी पार्टी को तोड़ कर सरकार बनाने की कोशिश की ना ही किसी भी भाषण में किसी विपक्ष की पार्टी पर व्यक्तिगत आरोप लगाए और देश हित में काम किया इसलिए 1999 में पहाड़ी चोटी कारगिल में आतंकवादी ने बर्फ़ीली पहाड़ी पर कब्ज़ा किया तो उसका डट कर मुकाबला किया और जीत गए बाद में जब ए आई डी एम के नेता जय ललिता ने 1999 में समर्थन बापस लेने के बाद मात्र 1वोट से सरकार गिर गई उस समय प्याज़ के दाम भी बढ़े लेकिन उसके बाद 1999 में चुनाव में एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला और 2004 तक बाजपेई जी प्रधानमंत्री रहें और देशहित में निर्णय या किसी विदेशी दबाब में क़ोई काम नहीँ किया अपने सहयोगी दलों को भी बड़ा मंत्रालय दियाअपनी पार्टी में भी सबको मौका दिया इसलिए उन्होंने उस समय गुजरात में बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के आपसी झगड़े को ख़त्म करने के लिए ही नरेंद्र मोदीजी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया था और जब 2004 के बाद के चुनाव 2009 में खुद पीछे हटकर लाल कृष्ण आडवाणी को एनडीए में प्रधानमंत्री बनाने के लिए काफी प्रयास किए और 10 साल तक बीजेपी सत्ता से बाहर रही लेकिन बाजपेई उस समय राजनीति से किनारा कर कविता में मस्त रहें क्योंकि अपने शासन काल में देश हित में जो किया वो क़ोई भी प्रधानमंत्री नहीँ कर सकता है जो था पोखरण में 1998 में परमाणु परीक्षण जो देश के लिए बहुत जरुरी था आज उनके नाम से लोगों में एक आत्मविश्वास जाग जाता है, विदेशी ताकतों से लड़ने का आत्मबल बढ़ जाता है। देश के प्रति एक ऐसी ही भावना थी कि अपनी ताकत दुनिया को दिखलाने हेतु उन्होंने ऐ परमाणु परीक्षण किया था जिससे हमारे परोसी दुश्मन पाकिस्तान और चीन डर भी गया था उनकी 101 वीं जयंती पर उनको नमन और शुभकामनायें। ईएमएस / 25 दिसम्बर 25