अंतर्राष्ट्रीय
24-Dec-2025


बांग्लादेश में मिलिट्री बेस बनाना चाहता है चीन:दुनिया के समुद्री रास्तों पर नजर, इन्वेस्टमेंट की आड़ में सीक्रेट जानकारी जुटा सकता है भारत बॉर्डर पर शांति, पाकिस्तान के पीछे से खेल... वॉशिंगटन/नई दिल्ली(ईएमएस)। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) की 2025 की सालाना रिपोर्ट में चीन की सैन्य गतिविधियों का विस्तार से जिक्र है। अक्टूबर 2024 में भारत और चीन ने रु्रष्ट पर बचे हुए टकराव वाले इलाकों से सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति जताई। इससे सीमा पर तनाव कुछ कम हुआ है। लेकिन पेंटागन का कहना है कि चीन का मुख्य उद्देश्य भारत को अमेरिका से ज्यादा करीब आने से रोकना है। चीन चाहता है कि भारत-अमेरिका के रणनीतिक रिश्ते मजबूत न हों। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत और चीन के बीच भरोसे की कमी अभी बरकरार है। पुरानी सीमा घटनाओं की वजह से रिश्तों में पूरा बदलाव मुश्किल है। खासकर अरुणाचल प्रदेश को चीन अपना कोर इंटरेस्ट मानता है। इसे वह ताइवान और दक्षिण चीन सागर की तरह गैर-बातचीत वाला मुद्दा समझता है। इससे भारत की संप्रभुता पर सीधा सवाल उठता है। पाकिस्तान को चीन का बड़ा हथियार सपोर्ट पेंटागन ने पाकिस्तान के साथ चीन के सैन्य संबंधों पर भी गहरी चिंता जताई है। 2020 से अब तक चीन ने पाकिस्तान को 36जे-10सी लड़ाकू विमान दिए हैं, जो पाकिस्तानी वायुसेना को काफी मजबूत बना रहे हैं। इसके अलावा दोनों देश मिलकर जेएफ-17 फाइटर जेट बना रहे हैं। पाकिस्तान को चीनी ड्रोन, नौसेना के जहाज और अन्य हथियार भी मिल रहे हैं। दिसंबर 2024 में दोनों देशों ने आतंकवाद विरोधी संयुक्त अभ्यास भी किया। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि पाकिस्तान भविष्य में चीनी सैन्य ठिकानों की जगह बन सकता है। इससे चीन की पहुंच भारत के बहुत करीब पहुंच जाएगी। चीन का वेस्टर्न थिएटर कमांड 2024 में ऊंचाई वाले इलाकों में जोरदार अभ्यास कर रहा था। यह भारत से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी संभालता है। यह पहाड़ी युद्ध की तैयारी का संकेत है। यह रिपोर्ट साफ दिखाती है कि चीन की नीति दोहरी है। एक तरफ भारत से रिश्ते सामान्य रखकर अमेरिका-भारत गठजोड़ को कमजोर करना चाहता है। दूसरी तरफ पाकिस्तान को हथियार देकर भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाना। भारत को एलएसी पर शांति के बावजूद पूरी सतर्कता बरतनी होगी और अपनी रक्षा तैयारियां और मजबूत करनी होंगी। 21 देशों में नए मिलिट्री बेस बनाने की योजना रिपोर्ट के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत दुनिया के 21 देशों में नए मिलिट्री बेस बनाने की योजना पर काम कर रही है। इनका मकसद चीन की नेवी और एयरफोर्स को दूर देशों तक ऑपरेशन करने में मदद देना और वहां आर्मी तैनात करना है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की सबसे ज्यादा दिलचस्पी उन इलाकों में है, जहां से दुनिया का अहम समुद्री व्यापार गुजरता है, जैसे मलक्का स्ट्रेट, होरमुज स्ट्रेट और अफ्रीका व मिडिल ईस्ट के कुछ स्ट्रैटेजिक पाइंट्स। एक्सपट्र्स के मुताबिक, चीन के ये विदेशी सैन्य ठिकाने सिर्फ सैन्य मदद के लिए नहीं, बल्कि खुफिया जानकारी जुटाने के लिए भी इस्तेमाल हो सकते हैं। ऐसा लॉजिस्टिक नेटवर्क अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेनाओं की एक्टिविटी पर नजर रखने में मदद कर सकता है। चीन कमांड और कंट्रोल सिस्टम भी मजबूत कर रहा रिपोर्ट के मुताबिक, ये एक्टिविटीज ज्यादातर सीक्रेट और तकनीकी तरीके से होंगी, जिन्हें मेजबान देशों के लिए पकडऩा मुश्किल होगा। इससे चीन को अमेरिका और उसके साझेदार देशों की सैन्य गतिविधियों की बेहतर जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही, चीन अपने विदेशी सैन्य ढांचे के लिए कमांड और कंट्रोल सिस्टम भी मजबूत कर रहा है, ताकि दूर-दराज के इलाकों में मौजूद अपने ठिकानों को बेहतर तरीके से ऑपरेट किया जा सके। एक्सपट्र्स मानते हैं कि चीन का यह कदम ग्लोबल लेवल पर उसकी सैन्य ताकत और प्रभाव बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी कोशिश है। अमेरिकी संसद चीन ताकत पर रिपोर्ट तैयार करवाती है पिछले 25 सालों से अमेरिकी संसद रक्षा विभाग (पेंटागन) से हर साल एक रिपोर्ट तैयार करवा रही है, जिसमें चीन की सैन्य ताकत और उसकी रणनीति पर नजर रखी जाती है। इन रिपोर्टों में बताया गया है कि कैसे चीन लगातार अपनी सेना को मजबूत कर रहा है और अपनी ग्लोबल रोल बढ़ा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय चीन की सेना का मुख्य फोकस फस्र्ट आइलैंड चेन पर है। ये आइलैंड चेन जापान से लेकर मलेशिया तक फैला समुद्री इलाका है। चीन इसे एशिया में अपने रणनीतिक हितों का सेंटर मानता है। लेकिन जैसे-जैसे चीन आर्थिक और सैन्य रूप से ताकतवर हो रहा है, उसकी सेना को दुनिया भर में ताकत दिखाने लायक बनाने की तैयारी भी तेज हो रही है। 2027 तक चीनी सेना ने तीन बड़े टारगेट रखे हैं रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका-चीन संबंधों में हाल के सालों में कुछ सुधार आया है। अमेरिका चाहता है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत बढ़े, ताकि टकराव से बचा जा सके और हालात काबू में रहें। साथ ही अमेरिका यह भी साफ करता है कि वह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 2027 तक अपनी सेना को इस लायक बनाने का लक्ष्य रखा है कि वह-ताइवान के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल कर सके। न्यूक्लियर और स्ट्रैटेजिक सेक्टर में अमेरिका को बैलेंस कर सके। एशिया के दूसरे देशों पर दबाव बना सके। विनोद उपाध्याय / 24 दिसम्बर, 2025