अंतर्राष्ट्रीय
25-Dec-2025


वॉशिंगटन,(ईएमएस)। चीन द्वारा बीते कुछ वक्त से भारत के साथ जारी संबंधों को सामान्य बनाने की तेज कवायद पर अमेरिका की मिर्ची लग गई है यानी उसकी नजरें चीन की तरफ टेढ़ी हो गई हैं। पेंटागन (अमेरिकी वॉर डिपार्टमेंट) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया है कि वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए सैन्य विवाद की समाप्ति का फायदा उठाकर चीन भारत के साथ एक बार फिर से अपने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की जोरशोर से कोशिशें करने में लगा हुआ है। जिसके पीछे उसकी असली और कुटिल मंशा भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों को गहरा होने से रोकना और भारत को कहीं न कहीं अपने ग्रुप में लाकर हिंद-प्रशांत के इलाके में अमेरिकी रणनीति को कमजोर बनाना है। हालांकि भारत चीन की इस सोच से वाकिफ है और इसे लेकर पूरी तरह सतर्क भी है। सीमाई विवाद जैसे मामलों को लेकर फिलहाल दोनों देशों के बीच पूरा तरह से भरोसा कायम नहीं हुआ है। अविश्वास की स्थिति बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि एलएसी विवाद की समाप्ति पिछले साल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान शहर में हुई उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय बैठक के बाद हुई थी। जिसकी घोषणा यहां नई दिल्ली में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने की थी। इसी के साथ अपने शीर्ष नेताओं की मंत्रणा से निकले महत्वपूर्ण निष्कर्षों और उनके मार्गदर्शन के साथ आगे बढ़ते हुए दोनों देश अपने आपसी संबंधों को सामान्य बनाने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में अब तक कई जरूरी कदम उठाए जा चुके हैं। जिनमें वीजा प्रक्रिया को फिर से बहाल करना, पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा की पुन: शुरुआत, हवाई उड़ान सेवाओं का आगाज, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने समेत लगातार उच्च-स्तरीय बैठकों की कवायद को जारी रखना मुख्य रूप से शामिल है। भारत और चीन के बीच हालिया समय में हुई महत्वपूर्ण उच्च-स्तरीय बैठकों में चीन के तियानजिन शहर में पिछले शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर हुई दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात मुख्य है। अमेरिका ने रिपोर्ट में ये भी कहा कि चीन चाहता है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई मुलाकातों के बाद भी भारत के साथ बातचीत का सिलसिला क्रमवार ढंग से चलता रहे। लेकिन भारत और चीन के बीच मौजूदा अविश्वास की वजह से इस प्रक्रिया की रफ्तार कछुआ चाल वाली यानी धीमी बनी हुई है। अमेरिका का ये भी तर्क है कि चीन की यह पूरी रणनीति भारत और अमेरिका को रणनीतिक रूप से एक-दूसरे से दूर करने तथा दोनों देशों के बीच फासले बढ़ाकर उसका खुद फायदा उठाने की है। जिससे उसे लगता है कि वो अमेरिका को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसानी से संतुलित कर लेगा। बता दें कि भारत और अमेरिका आपस में चतुष्कोणीय समूह क्वाड के तहत भी मजबूत साझेदार हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र (दक्षिण-पूर्वी चीन सागर का इलाका शामिल) में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर नकेल कसना है। चीन हालांकि क्वाड को भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक सैन्य गठबंधन (नाटो जैसा) मानते हुए इसका कड़ा विरोध करता है और उसका कहना है कि क्वाड के जरिए अमेरिका उक्त क्षेत्र का सैन्यीकरण करने की कोशिश कर रहा है। जिसे चीन कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। वीरेंद्र/ईएमएस/25दिसंबर2025