राज्य
25-Dec-2025
...


नर्सिंग स्टाफ अपने क्षेत्र के बुजुर्गों की सूची तैयार करेगा भोपाल (ईएमएस)। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएमएम) एक नई और महत्वाकांक्षी योजना लाने की तैयारी कर रहा है। सरकार बुजुर्गों के लिए घर-घर स्वास्थ्य निगरानी और जांच की व्यवस्था शुरू करने जा रही है। यह योजना 2026 से लागू किए जाने की तैयारी है। मालूम हो कि वृद्धावस्था में कई बीमारियां धीरे-धीरे शरीर को घेर लेती हैं। समय पर जांच और इलाज न मिलने के कारण कई बार स्थिति गंभीर और जानलेवा हो जाती है। खासकर ऐसे बुजुर्ग, जो खुद अस्पताल नहीं जा पाते या जिनके परिजन समय पर इलाज नहीं करवा पाते, उनके लिए यह योजना राहत लेकर आएगी। योजना के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ नर्सिंग स्टाफ अपने क्षेत्र के बुजुर्गों की सूची तैयार करेगा और महीने में कम से कम एक बार उनके घर जाकर स्वास्थ्य की जानकारी लेगा। आवश्यक होने पर उनकी प्रारंभिक जांच कराई जाएगी और गंभीर स्थिति में अस्पताल में इलाज के लिए रेफर किया जाएगा। एनएमएम की इस योजना को पहले शहरी क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। इसके बाद अनुभव के आधार पर इसे ग्रामीण इलाकों तक विस्तार देने की योजना है। नर्सिंग स्टाफ बुजुर्गों के ब्लड प्रेशर, शुगर, सांस संबंधी परेशानी, कमजोरी, जोड़ों के दर्द और अन्य सामान्य बीमारियों की स्क्रीनिंग करेगा। योजना के तहत हर बुजुर्ग का स्वास्थ्य चार्ट तैयार किया जाएगा, जिसमें उनकी उम्र, पुरानी बीमारियां, दवाइयां और जांच रिपोर्ट दर्ज होंगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसी भी बीमारी की पहचान शुरुआती चरण में हो जाए और समय पर इलाज मिल सके। एनएमएम की मिशन संचालक (एमडी) डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर इस योजना पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था में समय पर इलाज न मिलने से कई जटिलताएं पैदा होती हैं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह योजना तैयार की गई है, जिसे वर्ष 2026 में लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एनएमएम की यह योजना लागू होने के बाद बुजुर्गों को घर बैठे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी, जिससे गंभीर बीमारियों से होने वाली मौतों में कमी आएगी। यह योजना न सिर्फ बुजुर्गों के लिए राहत साबित होगी, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को भी अधिक मजबूत बनाएगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में प्रदेश में 60 वर्ष से अधिक आयु के करीब 57 लाख बुजुर्ग हैं, जबकि वर्ष 2045 तक यह संख्या बढ़कर 1 करोड़ 80 लाख से अधिक होने का अनुमान है। इसी बदलते जनसंख्या स्वरूप को ध्यान में रखते हुए यह योजना लागू करने की तैयारी चल रही है।