गाजियाबाद (ईएमएस)। हमारे समाज में गुरु को भगवान से ऊपर का दर्जा दिया गया है। कहा गया है कि गुरु बिन ज्ञान न उपजे, लेकिन गाजियाबाद के लिंक रोड इलाके से जो खबर आई है, उसने इस पावन परिभाषा को ही लहूलुहान कर दिया है। यहाँ एक कलयुगी गुरु ने नृत्य की शिक्षा देने के नाम पर जो तांडव रचा, उसने न सिर्फ एक 17 साल की छात्रा के सपनों को तोड़ा, बल्कि मानवता को भी शर्मसार कर दिया है। दरसल, 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा, जिसकी आँखों में घुंघरुओं की खनक और पैरों में थिरकन का सपना था, 10 नवंबर को बड़ी उम्मीदों के साथ डांस क्लास गई थी। उसे क्या पता था कि जिसे वह अपना मार्गदर्शक मान रही है, वह असल में एक दरिंदा है जो कला की आड़ में अपनी हवस का जाल बुन रहा है। बैड टच से शुरू हुआ यह सिलसिला जबरन कपड़े उतारने और होटल ले जाकर शारीरिक संबंध बनाने के दबाव तक पहुँच गया। विडंबना देखिए, जो हाथ छात्रा को नृत्य की मुद्राएं सिखाने चाहिए थे, वे उसकी अस्मत को नोचने में लगे थे। वह क्लास जो सृजन का केंद्र होनी चाहिए थी, वह उत्पीड़न का टॉर्चर रूम बन गई। दरिंदगी इतनी गहरी थी कि छात्रा सदमे में चली गई। उसकी खामोशी उस डर की गवाह थी, जो उस शिक्षक ने मौत की धमकी देकर उसके मन में बिठा दिया था। धन्य है वह माँ, जिसकी ममता ने बेटी की आँखों में छिपे उस अनकहे दर्द को पढ़ लिया। जब माँ ने दुलार से डर की परतें हटाईं, तो सिसकियों के साथ वह खौफनाक दास्तान बाहर आई जिसे सुनकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की रूह कांप जाए। फिलहाल, लिंक रोड पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी को सलाखों के पीछे भेजने का भरोसा दिलाया है। लेकिन सवाल वही है क्या कानून का डर इन दरिंदों के मन में कभी बैठेगा? समाज को आज सोचने की जरूरत है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। जहाँ एक शिक्षक रक्षक बनने के बजाय भक्षक बन जाए, वहाँ न्याय सिर्फ आरोपी को जेल भेजना नहीं, बल्कि उस छात्रा के मन में फिर से सुरक्षा का भाव जगाना होना चाहिए।