राज्य
25-Dec-2025
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- हरदा से निकल देश के दो राज्यों में पसारेगी पैर भोपाल (ईएमएस)। करणी सेना बहुत जल्द अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने जा रही है। हरदा में हुए जन क्रांति आंदोलन में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की सहमति के बाद मंच से इसकी घोषणा कर दी गई है। दिल्ली में घेराव करने सहित पार्टी प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि आंदोलन भले ही समाप्त कर दिया गया हो लेकिन लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ेंगे और करणी सेना अब अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएगी और विधानसभा और लोकसभा में अपना प्रत्याशी भेजेगी। समाज के लोगों की मांग सदन में उठाने के लिए यह कदम जरुरी है। मध्य प्रदेश से राजनीतिक पार्टी बनने की राह पर निकलने के ऐलान के साथ करणी सेना ने जता दिया कि वो हर लिहाज से अलग एजेंडे पर चलेगी। नई पार्टी का खाका पेश करते हुए पार्टी के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर कहते हैं कि लोगों और अपने समाज के लिए संघर्ष करना पार्टी का मकसद है। करणी सेना अपने मूल मकसद को जिंदा रखते हुए जन आंदोलन करेगी ताकि लोगों के हक की लड़ाई लड़ी जा सके। अब आगे की राह दिल्ली से तय होगी।पार्टी प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि हमारी मांगों पर कोई बात करने वाला नहीं है, इसलिए राजनीतिक दल बनाना जरुरी है। हमारी बातों को सदन में उठाने वाला कोई नहीं है। सभी बड़े नेताओं की सहमति के बाद करणी सेना ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने पर सहमति दी है। जल्द ही इसका रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा और मध्य प्रदेश में बड़ी सभा की जाएगी। मप्र और राजस्थान में करणी सेना पसारेगी पैर करणी सेना के शुरुआती प्लान में मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। इन दोनों ही राज्यों में राजपूत समाज का वर्चस्व है और समय-समय पर कई आंदोलनों में करणी सेना ने अपने वर्चस्व का बताया है। इन आंदोलनों के माध्यम से बताया है कि उनके पास कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है। इन आंदोलनों में अच्छी खासी तादाद में लोगों की भीड़ इकठ्ठी हुई है। पद्मावत, राणा सांगा जैसे कई मुद्दों को लेकर दोनों राज्यों के साथ देश भर में हुई आंदोलनों में करणी सेना के लोगों ने जबरदस्त विरोध करते हुए शक्ति प्रदर्शन किया था। इन दोनों राज्यों में राजपूत समाज की बड़ी आबादी है। मध्य प्रदेश में राजपूत आबादी मध्य प्रदेश में कुल जनसंख्या का राजपूतों का अनुमानित प्रतिशत 8 से 10 प्रतिशत के बीच है। ये राजपूत वोटर्स लगभग 40 से 50 विधानसभा सीटों में दखल रखते हैं। एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश में लगभग 60 से 65 लाख के बीच राजपूत वोटर्स हैं। कुछ अन्य अनुमानों के अनुसार राजपूतों की प्रदेश में 15 से 20 प्रतिशत तक संख्या है। इसमें राजपूतों के अलावा कई अन्य संबंधित जातियां जैसे सौंधिया राजपूत और दांगी राजपूत भी शामिल हैं। राजस्थान में राजपूत आबादी राजस्थान की बात की जाए तो यहां करणी सेना का वर्चस्व है। यहां राजपूत समुदाय का वर्चस्व मुख्य रूप से कई विरोध प्रदर्शनों में सामने आया है। एक अनुमान के मुताबिक राजस्थान में कुल जनसंख्या में 6 से 9 प्रतिशत राजूपत आबादी है। इस प्रतिशत के हिसाब से लगभग 60 से 70 लाख वोटर्स हैं। राज्य की राजनीति और समाज में राजपूत वोटर्स का अच्छा खासा दबदबा है। कई राजनीतिक पार्टियां विरोध प्रदर्शन के दौरान राजपूतों की राजनीति करते देखी गई हैं। देश भर में राजपूतों की राजनीति एक अनुमान के मुताबिक देश भर में 7 करोड़ से ज्यादा राजपूत आबादी है। यह कुल आबादी के 5 प्रतिशत के आसपास है। ऐसा माना जाता है कि राजपूत समाज देश के कई बड़े राज्यों में 400 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं। देश के लगभग 15 से ज्यादा राज्यों में राजपूत विधायक और सांसद हैं। यदि कुछ रिपोट्र्स की बात करें तो गुजरात के दो दर्जन से ज्यादा जिलों में लगभग 10 प्रतिशत से ज्यादा वोटर्स राजपूत हैं और 20 से 25 सीटों पर असर डालते हैं। ऐसे ही यूपी में भी 10 प्रतिशत से ज्यादा राजपूत हैं। यहां राजपूत समाज से बड़ी संख्या में सांसद और विधायक चुने जाते हैं। यहां राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी ज्यादा आबादी राजपूत समाज की है।