वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल का कहना है कि समझौते पर जल्द सहमति बन सकती नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत ने अमेरिका के सामने ट्रेड वार्ता में दो टूक प्रस्ताव दे दिया है। भारत चाहता है कि उस पर लगे कुल 50 प्रतिशत टैरिफ को घटाकर 15 प्रतिशत करे। इतना ही नहीं रूस से कच्चा तेल खरीदने पर जो अतिरिक्त 25 प्रतिशत पेनाल्टी लगाई है, उस पेनाल्टी को खत्म करे। दोनों देशों के बीच चल रही वार्ता से नए साल में कोई ठोस फैसला निकलने की उम्मीद है। दोनों देशों के बीच एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत जारी है। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल का कहना है कि समझौते पर जल्द सहमति बन सकती है, हालांकि उन्होंने व्यापार समझौते को लेकर कोई तय समय सीमा नहीं जाहिर की है। इस हफ्ते भारत और अमेरिका की व्यापार टीमों के बीच दिल्ली में बैठक हुई। बातचीत दो मुद्दों पर हो रही है। पहला एक बड़े और स्थायी व्यापार समझौते पर और दूसरा अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को हटाने या कम करने के लिए एक फ्रेमवर्क समझौते पर सहमति। अगर अमेरिका भारत पर लगाया गया 50 टैक्स घटाकर 15 प्रतिशत कर देता है और रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत की पेनाल्टी हटा देता है। तब भारतीय सामान अमेरिका में सस्ता होगा, जिससे वहां हमारा एक्सपोर्ट बढ़ेगा। भारतीय कंपनियों को फायदा होगा, ज्यादा ऑर्डर मिलने और रोजगार के मौके बढ़ सकते हैं। भारत में डॉलर ज्यादा आएगा, इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। वहीं भारत रूस से सस्ता तेल बिना डर के खरीद सकेगा, इससे पेट्रोल-डीजल के दाम काबू में रह सकते है। इतना ही नहीं दोनों देशों के रिश्ते और बेहतर होते और आगे बड़ा व्यापार समझौता आसान हो जाएगा। लेकिन अगर अमेरिका टैरिफ कम नहीं करता और पेनाल्टी भी जारी रखता है। तब भारतीय सामान अमेरिका में महंगे होने वाले है। जिससे हमारी बिक्री घट सकती है। कुछ इंडस्ट्री पर दबाव पड़ेगा, मुनाफा घट सकता है और नौकरियों पर असर पड़ सकता है। रूस से तेल खरीदना महंगा या मुश्किल हो जाएगा, जिससे ईंधन के दाम बढ़ सकते हैं। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है और व्यापार समझौते में देरी हो सकती है। अमेरिका ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसमें से 25 प्रतिशत को वे ‘रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ’ कहता है। जबकि 25 प्रतिशत रूसी तेल खरीदने की वजह से लगाया गया है। अमेरिका का कहना है कि इससे रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है। भारत का कहना है कि यह पेनाल्टी गलत है और तुरंत हटाया जाना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का रूसी तेल आयात नवंबर में करीब 17.7 लाख बैरल प्रति दिन था, जो दिसंबर में घटकर लगभग 12 लाख बैरल प्रति दिन रह गया है। आने वाले समय में यह 10 लाख बैरल प्रति दिन से भी नीचे जा सकता है। यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया था, जिस पर ट्रम्प प्रशासन ने कई बार सवाल उठाए हैं। आशीष दुबे / 25 दिसंबर 2025