वाशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिकी नौसेना ने वर्जीनिया क्लास की अपनी 26वीं परमाणु पनडुब्बी यूएसएस इडाहो को पिछले दिनों स्वीकार कर लिया। यह पनडुब्बी ब्लॉक 6 सीरीज का हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से लंबे समय तक समुद्र के नीचे रहने और दुश्मन की नजरों से बचने के लिए बनाया गया है। इसमें लगा एस9जी न्यूक्लियर रिएक्टर इस लगभग 33 वर्षों तक बिना ईंधन भरे चलाने की क्षमता देता है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी चुप्पी है। यह दुश्मन के सोनार को चकमा देने में माहिर है। यह 12 वर्टिकल लॉन्च ट्यूब (वीएलएस) से लैस है, जिससे टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इसके अलावा इसमें एमके-48 टॉरपीडो भी मौजूद हैं। इसमें नेवी सील्स के लिए ड्राई डेक शेल्टर की सुविधा है, जिससे गुप्त मिशनों को अंजाम दिया जा सकता है। वहीं अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने मंगोलियाई सीमा के पास अपने तीन नए मिसाइल साइलो क्षेत्रों में 100 से अधिक डीएफ-31 आईसीबीएम (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें) तैनात कर दी हैं। ये मिसाइलें ठोस ईंधन पर चलती हैं, जिसका मतलब है कि इन्हें बहुत कम समय की चेतावनी पर दागा जा सकता है। ये मिसाइलें सीधे अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने में सक्षम हैं। अनुमान है कि चीन 2030 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या 1,000 के पार ले जाएगा (वर्तमान में यह लगभग 600 है)। अमेरिका अब जमीन पर मिसाइलें तैनात करने के बजाय समुद्र के नीचे अपनी ताकत बढ़ा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि:जमीन पर स्थित मिसाइल साइलो (जैसे चीन के) को सैटेलाइट से ट्रैक किया जा सकता है। जबकि समुद्र के नीचे छिपी यूएसएस इडाहो जैसी पनडुब्बियां सेकंड स्ट्राइक (परमाणु हमले के बाद जवाबी कार्रवाई) के लिए सबसे सुरक्षित माध्यम मानी जाती हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव और ताइवान पर संभावित खतरे को देखकर अमेरिका इन पनडुब्बियों को अपनी अंडरसी डिटेरेंस (समुद्र के नीचे प्रतिरोध) की रीढ़ बना रहा है। यूएसएस इडाहो का नौसेना में शामिल होना केवल एक जहाज की वृद्धि नहीं है, बल्कि चीन के परमाणु विस्तार के खिलाफ अमेरिका का एक कड़ा रणनीतिक संदेश है। वर्जीनिया क्लास की अदृश्य शक्ति यूएसएस इडाहो एक वर्जीनिया क्लास की फास्ट-अटैक पनडुब्बी है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसका खामोश होना (रडार और सोनार से बचने की क्षमता) है। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपने पूर्वी तट पर मिसाइल सिस्टम का जाल बिछा दिया है, जिससे अमेरिकी विमान वाहक पोतों का वहां पहुंचना जोखिम भरा हो गया है। इसके बाद पनडुब्बियां ही एकमात्र जरिया बचती हैं जो चीन के डिफेंस घेरे को चुपके से भेद सकती हैं। आशीष दुबे / 26 दिसंबर 2025