- करतला विकासखंड में तीन और कोरबा में 2 कोल ब्लॉक शामिल - सभी खदानें बताई जा रही 1 हजार मिलियन टन से अधिक उत्पादन क्षमता की कोरबा (ईएमएस)। कमर्शियल माइनिंग से जिले के 5 कोल ब्लॉक का खनन पट्टा हासिल करने दो कंपनियों से 14वें दौर में शामिल खदानों की नीलामी के लिए बोलियां मिली है। इससे भविष्य में कमर्शियल माइनिंग से भी कोयला खदानों की संख्या बढ़ेगी। जिले में एसईसीएल की कोयला खदानें पहले से ही संचालित हैं, इनमें खुले मुहाने की कोयला खदान के अलावा भूमिगत खदानें भी हैं। जिन खदानों के लिए बोलियां मिली है, उनमें से तीन करतला विकासखंड में और दो खदानें कोरबा ब्लॉक में है। ये सभी खदानें 1 हजार मिलियन टन से अधिक उत्पादन क्षमता की है। कैप्टिव माइनिंग के बाद अब साल 2020 से कमर्शियल माइनिंग से कोयला खनन को केंद्र सरकार ने अनुमति दे दी है। इसके बाद से कोल ब्लॉकों को चिन्हित कर कमर्शियल माइनिंग से प्राइवेट प्लेयर्स को खनन का अधिकार देने नीलामी सूची में रखा जा रहा हैं। इससे अब कोयला खनन में कोल इंडिया का एकाधिकार समाप्त हो गया है। दूसरी ओर कोयला खनन में कोल इंडिया के लिए व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। कोयले के व्यवसायिक खनन का विरोध भी हुआ है। लेकिन इसे वापस लेने के बजाय कोल ब्लॉकों को कमर्शियल माइनिंग से आवंटित किया जा रहा है। 14वें दौर में 41 कोल ब्लॉकों को नीलामी सूची में रखने के बाद कंपनियों से बोलियां मंगाई गई। इनमें शामिल कोरबा के 5 कोल ब्लॉक के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और एक्सिस एनर्जी वेंचर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की बोलियां मिली है। 5 कोल ब्लॉक में करतला विकासखंड के करतला साऊथ, कलगामार, मदवानी और कोरबा विकासखंड के बताती कोल्गा वेस्ट व तौलीपाली ब्लॉक है। अब इनकी बोलियों का मूल्यांकन तकनीकी मूल्यांकन समिति करेगी। इसके बाद योग्य बोलीदाताओं को नीलामी में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा। - कूप कटाई के नाम पर पेड़ों को काटने का पूर्व में लगा हैं आरोप कोरबा जिलान्तर्गत कोल्गा के जिस जंगल में कोल ब्लॉक चिन्हित की गई है, वहां के ग्रामीण दो दिन पहले कूप कटाई के नाम पर पेड़ों को काटने का आरोप लगा चुके हैं। वनमंडल कोरबा के पसरखेत परिक्षेत्र में कोल्गा का जंगल है। करतला क्षेत्र में कोल ब्लॉक चिन्हित करने के बाद अब नीलामी कर आवंटन की प्रक्रिया पूरी किए जाने से ग्रामीणों को गांव उजड़ने का डर सताने लगा है। ऐसे में भविष्य में कमर्शियल माइनिंग से कोल ब्लॉकों के आवंटन का विरोध न हो, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। - व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा का कोल इंडिया पर यह असर कोयला खनन में व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा का कोल इंडिया पर असर पड़ने लगा है। केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम कोल इंडिया बोर्ड ने सहयोगी कंपनी एमसीएल की शेयर बाजार में लिस्टिंग की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इससे अब कंपनी के शेयर आईपीओ के माध्यम से बेची जाएगी। कोल इंडिया कंपनी के सचिव बी.पी. दुबे ने जारी पत्र में एसईसीएल की लिस्टिंग के लिए कभी ठोस कदम उठाने की सलाह दी है। - निजी कंपनियों के रुचि लेने की बड़ी वजह कमर्शियल माइनिंग से कोल ब्लॉक लेने पर पूर्व में 50 फीसदी कोयला स्वयं के लिए उपयोग करना था। लेकिन अब इस बाध्यता को केन्द्र ने हटा दिया है। इससे अब कोल ब्लॉक का आवंटन पाने निजी कंपनियों के रुचि लेने की एक बड़ी वजह है। 10वें दौर की नीलामी के बाद से इस बाध्यता को समाप्त कर दिया है। 14वें दौर की बोली में पहली बार ऐसा हुआ है कि 5 नई कंपनियों की कोल ब्लॉकों की नीलामी में हिस्सा लेने बोलियां मिली है।