राष्ट्रीय
26-Dec-2025
...


-केस टाइटल में पक्षकार के नाम के साथ पद्म श्री लिखा मुंबई,(ईएमएस)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण टिप्पणी कर स्पष्ट किया है कि पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान कोई उपाधि (टाइटल) नहीं हैं, इसलिए इन्हें किसी भी व्यक्ति के नाम के आगे या पीछे नहीं जोड़ा जा सकता। अदालत ने यह टिप्पणी एक याचिका की सुनवाई के दौरान की, जब केस टाइटल में एक पक्षकार के नाम के साथ “पद्म श्री” लिखा था। मामला जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की एकल पीठ के सामने आया। याचिका में 2004 में पद्म श्री से सम्मानित डॉ. शरद मोरेश्वर हार्डिकर भी पक्षकार थे। केस के शीर्षक में उनका नाम “पद्म श्री डॉ. शरद मोरेश्वर हार्डिकर” के रूप में दर्ज किया था। लेकिन सुनवाई करते समय जैसे ही अदालत का ध्यान इस ओर गया, जस्टिस सुंदरेसन ने इस पर आपत्ति जताकर कहा कि कानून के अनुसार इस तरह पुरस्कार को नाम का हिस्सा बनाना गलत है। अदालत ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के साल 1995 के ऐतिहासिक फैसले का उल्लेख किया। यह फैसला संविधान पीठ द्वारा दिया गया था, इसमें स्पष्ट बताया गया था कि पद्म पुरस्कार और भारत रत्न उपाधि नहीं हैं। इसलिए इनका प्रयोग नाम के पहले या बाद में नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय यह भी स्पष्ट किया था कि इसतहर के सम्मानों का उद्देश्य केवल सम्मान देना है, न कि किसी प्रकार की सामाजिक या कानूनी उपाधि प्रदान करना। जस्टिस सुंदरेसन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत देश की सभी अदालतों और प्राधिकरणों पर बाध्यकारी है। अनुच्छेद 141 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित कानून पूरे भारत में लागू होता है। इसलिए नियम का सख्ती से पालन होना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि आगे की सभी कानूनी कार्यवाहियों में पक्षकारों के नाम के साथ पद्म पुरस्कारों का उल्लेख न किया जाए और अदालतें भी इस बात का ध्यान रखें। आशीष दुबे / 26 दिसंबर 2025