बुकिंग ना करने पर देने पड़ते है ९५० से १००० रूपए और तत्काल मिल जाता है सिलेंडर छिंदवाड़ा (ईएमएस)। जिले में घरेलू रसोई गैस की कालाबाज़ारी एक बार फिर सिर चढ़कर बोल रही है। सरकार द्वारा घरेलू एलपीजी सिलेंडर की निर्धारित कीमत 875 रुपये तय होने के बावजूद उपभोक्ताओं से 950 से लेकर 1000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। गैस एजेंसी का सिलेंडर वितरण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, जहां नियमों को ताक पर रखकर खुलेआम मनमानी की जा रही है। हालात यह हैं कि जो उपभोक्ता नियमों का पालन करते हुए बुकिंग नंबर लगाते हैं, उन्हें जानबूझकर इंतजार कराया जा रहा है, जबकि बिना बुकिंग वाले उपभोक्ताओं को अतिरिक्त राशि लेकर तत्काल सिलेंडर उपलब्ध करा दिया जा रहा है। सरकारी नियमों और उपभोक्ता अधिकारों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदार विभाग अब तक आंखें मूंदे बैठे हैं। आम जनता महंगाई की मार से पहले ही त्रस्त है और अब गैस सिलेंडर की इस लूट ने लोगों की रसोई का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। बुकिंग सिस्टम बना मज़ाक गैस वितरण व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए बुकिंग सिस्टम लागू किया गया था, ताकि हर उपभोक्ता को सामान और समय पर सुविधा मिल सके। लेकिन गैस ऐजेंसी का यह बुकिंग सिस्टम उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बन गया है। उपभोक्ताओं का आरोप है कि यदि वे बुकिंग नंबर नहीं लगाते और सीधे एजेंसी या डिलीवरी कर्मचारियों से संपर्क करते हैं, तो उनसे 950 से 1000 रुपये लेकर उसी दिन सिलेंडर दे दिया जाता है। वहीं, जिन्होंने बुकिंग कर रखी है, उन्हें कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है। यह स्थिति न केवल उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है, बल्कि सरकारी व्यवस्था की साख पर भी सवालिया निशान लगाती है। 900 रुपये में कानूनीÓ सिलेंडर? सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बुकिंग कराने वाले उपभोक्ताओं से भी तय कीमत 875 रुपये की बजाय 900 रुपये वसूले जा रहे हैं। यह अतिरिक्त राशि किस मद में ली जा रही है, इसका कोई स्पष्ट जवाब एजेंसी या कर्मचारियों के पास नहीं है। उपभोक्ताओं का कहना है कि पूछने पर कभी ढुलाई खर्चÓ, कभी लेबर चार्जÓ तो कभी कंपनी का रेट बढ़ गया हैÓ जैसे बहाने बना दिए जाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि सरकार द्वारा घोषित कीमत के अलावा कोई भी अतिरिक्त वसूली पूरी तरह अवैध है। गरीब और मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित इस काला बाज़ारी का सबसे बड़ा असर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर पड़ रहा है। जिन परिवारों की मासिक आय सीमित है, उनके लिए 75 से 125 रुपये अतिरिक्त देना आसान नहीं है। कई उपभोक्ताओं ने बताया कि मजबूरी में उन्हें ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं, क्योंकि गैस के बिना रसोई चलाना संभव नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों और शहर की झुग्गी-बस्तियों में हालात और भी खराब हैं, जहां लोग उधार लेकर सिलेंडर खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। एजेंसी कर्मचारियों की मनमानी स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पूरा खेल एजेंसी स्तर पर चल रहा है। डिलीवरी करने वाले कर्मचारी खुलेआम ज्यादा पैसे मांगते हैं और मना करने पर सिलेंडर देने से इनकार कर देते हैं। कुछ उपभोक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि अतिरिक्त राशि न देने पर उन्हें अगले सप्ताह या उससे भी बाद में सिलेंडर देने की बात कही जाती है। इस मनमानी से उपभोक्ताओं में गहरा आक्रोश है, लेकिन शिकायत करने पर कार्रवाई का डर भी बना रहता है। जिम्मेदार विभाग की चुप्पी सबसे बड़ा सवाल यह है कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग आखिर क्या कर रहा है? गैस सिलेंडर की कीमत, बुकिंग और वितरण की पूरी निगरानी इसी विभाग के अंतर्गत आती है, लेकिन इसके बावजूद खुलेआम काला बाज़ारी चल रही है। न तो कोई नियमित जांच दिखाई देती है और न ही शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अवैध वसूली और बढ़ेगी। ईएमएस/मोहने/ 27 दिसंबर 2025