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28-Dec-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। शनिवार को देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के बयानों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए पहचाने जाने वाले दिग्विजय सिंह ने पार्टी के आंतरिक हालात पर बेहद गंभीर सवाल खड़े किए। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने पार्टी आलाकमान को आगाह करते हुए कहा कि वर्तमान में कांग्रेस के भीतर कई स्लीपर सेल सक्रिय हैं, जो संगठन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी के भविष्य के लिए इन तत्वों की पहचान करना और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना अनिवार्य है। बैठक के दौरान दिग्विजय सिंह ने न केवल आंतरिक गुटबाजी पर प्रहार किया, बल्कि संगठन की मजबूती के लिए सत्ता के विकेंद्रीकरण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने तर्क दिया कि जब तक निचले स्तर तक सत्ता और जिम्मेदारी का बंटवारा नहीं होगा, तब तक पार्टी जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हो पाएगी। वरिष्ठ नेता की यह नसीहत सीधे तौर पर कांग्रेस के उस कमजोर पक्ष की ओर इशारा मानी जा रही है, जहाँ अक्सर समर्पित कैडर और स्थानीय नेताओं के सक्रिय जुड़ाव की कमी महसूस की जाती है। हालांकि, चर्चा के दौरान जब उन्होंने अपनी बात लंबी खींची, तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें टोकते हुए अपना संबोधन समाप्त करने को कहा, ताकि अन्य नेताओं की राय भी सुनी जा सके। पार्टी के भीतर दिग्विजय सिंह के इस रुख को लेकर दो तरह की राय उभर रही है। एक गुट उनकी स्पष्टवादिता का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा खेमा इसे मध्य प्रदेश की आंतरिक राजनीति और उनके निजी राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देख रहा है। विशेष रूप से मध्य प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के साथ उनके मतभेदों की खबरें अक्सर चर्चा में रहती हैं। ऐसे में दिल्ली की बैठक में सिंह द्वारा उठाए गए मुद्दे आने वाले दिनों में कांग्रेस के भीतर बड़े संगठनात्मक बदलावों का संकेत दे सकते हैं। सीडब्ल्यूसी की इस बैठक से ठीक पहले दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पुरानी तस्वीर साझा कर नई बहस को जन्म दिया था। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीचे फर्श पर बैठे नजर आ रहे हैं और उनके पीछे दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी कुर्सी पर विराजमान हैं। इस तस्वीर के जरिए सिंह ने भाजपा और आरएसएस के संगठन ढांचे और अनुशासन की प्रशंसा करते हुए कांग्रेस को उनसे सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने लिखा कि यह संगठन की ही शक्ति है कि एक सामान्य स्वयंसेवक फर्श से उठकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच सका।