-आलाकमान ने कर्नाटक सरकार को संयम और संवेदनशीलता बरतने की दी नसीहत नई दिल्ली,(ईएमएस)। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में चलाए गए डिमोलिशन ड्राइव ने कांग्रेस के अंदर मतभेद उजागर कर दिए हैं। विरोध प्रदर्शन, विपक्षी दलों की आलोचना और पार्टी के अंदरखाने में उठ रही आवाजों के बीच कांग्रेस आलाकमान ने कर्नाटक सरकार को संयम और संवेदनशीलता बरतने की नसीहत दी है। यह पूरा मामला बेंगलुरु के बाहरी इलाके में येलहंका के पास कोगिलू गांव का है। यहां तोड़फोड़ की कार्रवाई ने कांग्रेस पार्टी के अंदर खलबली मचा दी है। इस कार्रवाई के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गए और विपक्ष के हमलों के साथ-साथ कांग्रेस के अंदर से भी असहज सवाल उठने लगे हैं, जिससे कर्नाटक सरकार बचाव के मोड में आ गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शनिवार को कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से इस मुद्दे पर बात की। वेणुगोपाल ने कोगिलू गांव से लोगों को हटाने की कार्रवाई को लेकर गहरी चिंता जताई और कहा कि इस तरह के कदमों में कहीं ज्यादा सावधानी, संवेदनशीलता की जरूरत होती है। उन्होंने साफ कहा कि फैसलों में मानवीय कीमत को सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए। वेणुगोपाल के मुताबिक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी इस पूरी कार्रवाई के तरीके को लेकर सहज नहीं है। उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ने भरोसा दिलाया है कि वे खुद प्रभावित परिवारों से संवाद करेंगे, शिकायत निवारण तंत्र बनाएंगे और पुनर्वास व राहत सुनिश्चित करेंगे। इस बीच सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने कमजोर और गरीब परिवारों को बिना पर्याप्त वैकल्पिक व्यवस्था के बेघर कर दिया है। उन्होंने तुरंत पुनर्वास, अस्थायी आश्रय और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की। एसडीपीआई के कर्नाटक महासचिव मुजाहिद पाशा ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस वही बेदखली की राजनीति अपना रही है, जिसकी वह पहले आलोचना करती रही है। मंत्रियों के इस दावे को भी उन्होंने खारिज कर दिया कि यहां रहने वाले लोग अवैध प्रवासी थे या यह जमीन केवल ठोस कचरा प्रबंधन के लिए आरक्षित थी। पाशा ने केरल के सीएम पिनराई विजयन की आलोचना का हवाला दिया और कहा कि यह मामला अब सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है। सीएम सिद्धारमैया ने कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि येलहंका के पास कोगिलू बदवाने क्षेत्र की जमीन कचरा डंपिंग साइट है, जो लोगों के रहने के लिए उपयुक्त नहीं है और उस पर अतिक्रमण किया गया था। उन्होंने कहा कि परिवारों को पहले ही कई बार नोटिस जारी कर वहां से हटने को कहा था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसके बाद बेदखली की कार्रवाई जरूरी हो गई। उन्होंने बेंगलुरु महानगर पालिका के आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आश्रय, भोजन और अन्य जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वहां रहने वाले अधिकतर लोग स्थानीय नहीं बल्कि प्रवासी मजदूर हैं, फिर भी मानवीय दृष्टिकोण से उनके लिए उचित आवास की व्यवस्था की जाएगी। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने केरल के सीएम पिनराई विजयन की आलोचना पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि कर्नाटक से बाहर के नेताओं को बयान देने से पहले जमीनी हकीकत समझनी चाहिए। शिवकुमार ने कहा कि यह कार्रवाई सार्वजनिक भूमि की रक्षा के लिए की गई है और किसी भी समुदाय को निशाना बनाने का सवाल नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भूमि माफिया के हित जुड़े लोग कचरा डंपिंग साइट पर अतिक्रमण कर उसे झुग्गी बस्ती में बदलना चाहते थे। उन्होंने ‘बुलडोजर जस्टिस’ के आरोपों को खारिज किया और कहा कि सरकार किसी बल प्रयोग की राजनीति में नहीं, बल्कि सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा कर रही है। उनका यह बयान पिनराई विजयन के उस फेसबुक पोस्ट के बाद आया, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु की फकीर कॉलोनी और वसीम लेआउट में हुई तोड़फोड़ को चौंकाने वाला और दर्दनाक बताया था और कांग्रेस सरकार पर यूपी सरकार जैसा बुलडोजर मॉडल अपनाने का आरोप लगाया था। सिराज/ईएमएस 28दिसंबर25