राष्ट्रीय
28-Dec-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संगठनात्मक क्षमता और कार्यकर्ताओं के समर्पण को लेकर किए गए पोस्ट ने पार्टी के भीतर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां कुछ नेता इसे आत्ममंथन और संगठन को मजबूत करने की सलाह के रूप में देख रहे हैं, वहीं पार्टी के एक बड़े धड़े ने वैचारिक मतभेदों का हवाला देते हुए इस बयान से स्पष्ट दूरी बना ली है। इस विवाद की जड़ दिग्विजय सिंह का वह सोशल मीडिया पोस्ट है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा की थी। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पास जमीन पर बैठे नजर आ रहे हैं। सिंह ने इस तस्वीर के साथ लिखा था कि कैसे एक जमीनी स्वयंसेवक अपनी निष्ठा और संगठन की शक्ति के बल पर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचा। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व में राहुल गांधी को भी एक संदेश देते हुए व्यावहारिक विकेंद्रीकरण और संगठन पर ध्यान देने की सलाह दी थी। दिग्विजय सिंह के इस रुख पर पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस को किसी अन्य संगठन से सीखने की आवश्यकता नहीं है। श्रीनेत ने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि गोडसे की विचारधारा वाले संगठन से कांग्रेस कुछ नहीं सीख सकती। उन्होंने गर्व से कहा कि कांग्रेस का अपना इतिहास है और दूसरों को कांग्रेस से सीखना चाहिए। इसी सुर में सुर मिलाते हुए पवन खेड़ा ने भी दिग्विजय सिंह के बयान से पूरी तरह असहमति जताई। खेड़ा ने कहा कि गोडसे के समर्थक कभी गांधी के समर्थकों के आदर्श नहीं हो सकते और न ही उनका संगठन कांग्रेस को कुछ सिखा सकता है। उन्होंने विचारधारा के मूलभूत अंतर को सर्वोपरि बताया। दूसरी ओर, राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस पूरी बहस को एक अलग नजरिए से देखा। उन्होंने इसे पार्टी के भीतर एक स्वस्थ लोकतांत्रिक विमर्श करार दिया। पायलट ने कहा कि कांग्रेस में हर किसी को अपनी राय रखने की स्वतंत्रता है और इससे पार्टी की एकजुटता पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने जोर दिया कि वर्तमान में पार्टी का मुख्य लक्ष्य मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व को मजबूत करना है।महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा और वरिष्ठ नेता रजनी पाटिल ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। रजनी पाटिल ने दिग्विजय सिंह का बचाव करते हुए कहा कि संगठन को मजबूत करने की बात कहना गलत नहीं है और लोगों को इस बयान को गलत तरीके से नहीं लेना चाहिए। वहीं, अलका लांबा ने रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि राजनीति में अपनी ताकत के साथ-साथ दुश्मन की ताकत का अंदाजा होना भी जरूरी है। हालांकि, उन्होंने भी आरएसएस की पुरानी भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनकी विचारधारा से असहमति जताई। कुल मिलाकर, दिग्विजय सिंह के इस बयान ने कांग्रेस के भीतर सांगठनिक सुधार बनाम वैचारिक दृढ़ता की एक नई चर्चा को हवा दे दी है। वीरेंद्र/ईएमएस/28दिसंबर2025 -----------------------------------