इससे पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा को खतरा जेरुसलम(ईएमएस)। इजराइल ने सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र देश के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी। इजराइल ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है। इजराइल के फैसले के बाद से मुस्लिम देशों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर के 21 देशों ने इस फैसले के खिलाफ साझा बयान जारी कर विरोध जताया है। सोमालीलैंड अफ्रीका के हॉर्न क्षेत्र में स्थित है। इस देश ने 1991 में सोमालिया से आजादी की घोषणा की थी और तब से अंतरराष्ट्रीय मान्यता की कोशिश कर रहा था। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमालीलैंड के राष्ट्रपति अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही के साथ संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए। सोमालीलैंड के राष्ट्रपति ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि यह फैसला मध्य पूर्व और अफ्रीका में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देगा। इजराइल के खिलाफ जॉर्डन, मिस्र, अल्जीरिया, कोमोरोस, जिबूती, गाम्बिया, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, मालदीव, नाइजीरिया, ओमान, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, तुर्किये, यमन ने विरोध जताया है। इसके साथ ही ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने भी बयान जारी कर आपत्ति दर्ज करवाई है। बयान में पांच प्वाइंट में बातें कही गई हैं। सोमालिया रिपब्लिकन के सोमालीलैंड क्षेत्र को इजराइल के मान्यता देने को हम खारिज करते हैं। ऐसा कदम हॉर्न ऑफ अफ्रीका और लाल सागर के साथ पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा पर असर डालेगा। इजराइल ने अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना की है। ऐसी मान्यता की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। जिसमें राज्यों की संप्रभुता और उनकी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की जरूरी बताई गई है। यह इजराइल की विस्तारवादी सोच है। सोमालिया रिपब्लिकन की संप्रभुता का पूरा समर्थन हम करते हैं। सोमालिया की एकता उसकी क्षेत्रीय अखंडता या संप्रभुता को कमजोर करने वाले किसी भी कदम का हम खंडन करते हैं। किसी देश के हिस्से को अलग मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय कानून और यूएन चार्टर के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। इजराइल के इस तरह के कदम और फिलिस्तीनी लोगों को उनकी जमीन से जबरन निकालने की किसी कोशिश को भी हम नकारते हैं। यह सोमालिया की संप्रभुता पर हमला है कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इजराइल के कदम का कड़ा विरोध किया है। अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद, अफ्रीकी संघ और इस्लामिक सहयोग संगठन ने इजराइल के कदम को सोमालिया की संप्रभुता पर हमला बताया और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया। अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ ने कहा कि सोमालीलैंड सोमालिया का अभिन्न हिस्सा है और इस तरह की मान्यता शांति और स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकती है। अरब लीग के महासचिव अहमद अबूल गीत ने इसे राज्यों की एकता के सिद्धांत का स्पष्ट उल्लंघन बताया जबकि जीसीसी ने इसे क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करने वाला खतरनाक कदम कहा। इस्लामिक सहयोग संगठन ने कई मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों के साथ संयुक्त बयान जारी कर इजराइल की निंदा की और सोमालिया की संप्रभुता का पूरा समर्थन जताया। इजराइल इस मान्यता को तुरंत वापस ले सोमालिया की सरकार ने इजराइल के फैसले को अपनी संप्रभुता पर जानबूझकर किया गया हमला बताया और इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा करार दिया। सोमालिया ने इजराइल से मान्यता तुरंत वापस लेने की मांग की है। यूरोपीय संघ ने सोमालिया की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की अपील की। दूसरी ओर, सोमालीलैंड में इस फैसले का जोरदार स्वागत हुआ और लोग सडक़ों पर उतरकर जश्न मना रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की। सोमालीलैंड को भी मान्यता देने के सवाल पर ट्रम्प ने कहा कि वो अभी ऐसी कोई योजना नहीं बना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि क्या वास्तव में कोई जानता है कि सोमालीलैंड क्या है? सोमालीलैंड को अपना हिस्सा मानता है सोमालिया सोमालीलैंड और सोमालिया के बीच मुख्य विवाद सोमालीलैंड की स्वतंत्रता और अलगाव को लेकर है। सोमालीलैंड (उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र) ने 1991 में खुद को स्वतंत्र गणराज्य घोषित किया, लेकिन सोमालिया इसे अपना अभिन्न अंग मानता है और किसी भी अलगाव को अस्वीकार करता है। विनोद उपाध्याय / 28 दिसम्बर, 2025