बैंकॉक(ईएमएस)। दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति की उम्मीदों को उस वक्त गहरा झटका लगा जब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुआ युद्धविराम (सीजफायर) 48 घंटे के भीतर ही धराशायी हो गया। जिस समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए थे और जिसकी स्याही अभी सूखी भी नहीं थी, रविवार रात को आसमान में बारूद की गंध ने उसे बेअसर कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस सीजफायर का श्रेय लेते हुए इसे अपनी बड़ी कूटनीतिक जीत बताया था, जमीनी हकीकत में वह समझौता धुआं होता नजर आ रहा है। घटनाक्रम के अनुसार, शनिवार को दोनों देशों के बीच तत्काल प्रभाव से युद्धविराम लागू करने पर सहमति बनी थी, जिससे लगा था कि सरहद पर जारी खून-खराबा अब रुक जाएगा। लेकिन रविवार की रात कंबोडिया की ओर से आए 250 से ज्यादा ड्रोनों ने स्थिति को फिर से तनावपूर्ण बना दिया। थाईलैंड की रॉयल आर्मी ने कंबोडिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सीजफायर लागू होने के महज एक दिन बाद ही कंबोडियाई सेना ने थाई हवाई क्षेत्र में भारी संख्या में यूएवी और ड्रोन भेजे। 250 ड्रोनों का एक साथ सरहद पार करना किसी तकनीकी गलती का परिणाम नहीं, बल्कि एक सुनियोजित शक्ति प्रदर्शन और उकसावे की कार्रवाई माना जा रहा है। थाई सेना के प्रवक्ता विनथाई सुवारी ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि रविवार रात रडार पर जो हलचल देखी गई, वह सामान्य नहीं थी। उन्होंने इसे थाईलैंड की संप्रभुता का खुला उल्लंघन करार दिया। सुवारी के अनुसार, यह कार्रवाई शनिवार को हुई द्विपक्षीय बैठक में तय हुए संयुक्त बयान और शांति समझौते की शर्तों के खिलाफ है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सीजफायर होने के बावजूद दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे की नई सैन्य स्थिति और मोर्चों को स्कैन करना चाहती थीं। इतनी बड़ी संख्या में ड्रोन भेजने का मकसद निगरानी के साथ-साथ यह संदेश देना भी था कि कंबोडिया समझौते के बावजूद पीछे हटने के मूड में नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फोटो-ऑप डिप्लोमेसी पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि उनके हस्तक्षेप और कूटनीति की वजह से यह पुरानी दुश्मनी खत्म होने जा रही है, लेकिन हकीकत में शांति कभी जमीन पर उतरी ही नहीं। दक्षिण-पूर्व एशिया की यह ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता एक बार फिर विनाशकारी मोड़ पर है। फिलहाल, थाईलैंड ने अपनी सैन्य इकाइयों को हाई अलर्ट पर रखा है और कंबोडियाई सीमा पर तनाव चरम पर पहुंच गया है, जिससे क्षेत्र में एक बार फिर बड़े युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। वीरेंद्र/ईएमएस/30दिसंबर2025