-राष्ट्रपति पेज़ेश्कियन ने सरकार से कहा प्रदर्शनकारियों की ‘वैध मांगें’, सुनी जाएं तेहरान (ईएमएस)। ईरान में बिगड़ती आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय मुद्रा रियाल के ऐतिहासिक स्तर तक गिरने के विरोध में राजधानी तेहरान में लगातार दूसरे दिन प्रदर्शन देखने को मिले। इस बीच ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने प्रदर्शनकारियों की “वैध मांगों” को स्वीकार करते हुए सरकार से उन्हें गंभीरता से सुनने और आम लोगों की क्रय शक्ति की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है। राष्ट्रपति पेज़ेश्कियन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि आम जनता की आजीविका उनकी रोज़ की सबसे बड़ी चिंता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने गृह मंत्री को निर्देश दिए हैं कि वे प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों से संवाद के जरिए उनकी मांगों को सुनें, ताकि सरकार पूरी ताकत के साथ समस्याओं का समाधान कर सके और जिम्मेदारीपूर्वक जवाब दे सके। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए ने भी राष्ट्रपति के इन बयानों की पुष्टि की है। ईरान में यह विरोध प्रदर्शन ऐसे समय पर हो रहे हैं, जब रियाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। बीते कुछ हफ्तों में रियाल में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंध, कूटनीतिक दबाव और इजरायल के साथ संभावित टकराव की आशंका मानी जा रही है। तेहरान के जोम्हूरी इलाके में स्थित दो प्रमुख टेक्नोलॉजी और मोबाइल फोन बाजारों के दुकानदारों ने रविवार को अपनी दुकानें बंद कर सड़कों पर प्रदर्शन किया। यही हाल ग्रैंड बाजार और उसके आसपास के इलाकों में भी देखने को मिला। सोमवार को भी प्रदर्शन जारी रहे। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारियों को “डरो मत, हम एक साथ हैं” जैसे नारे लगाते देखा गया। प्रदर्शनों के दौरान कई जगहों पर दंगा-निरोधक बलों की तैनाती की गई। कुछ वीडियो में सुरक्षा बलों को आंसू गैस का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करते हुए देखा गया। ईरान इस समय कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। देश में महंगाई दर करीब 50 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जो दुनिया में सबसे अधिक दरों में शामिल है। इसके अलावा, एक विवादित बजट प्रस्ताव के तहत करों में 62 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की योजना है, जिससे आम जनता की परेशानी और बढ़ सकती है। ऊर्जा संकट भी देश के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। तेहरान समेत कई बड़े शहरों को पानी उपलब्ध कराने वाले बांध लगभग खाली पड़े हैं, जिससे जल संकट गहराता जा रहा है। 9 करोड़ की आबादी वाले देश में लोगों की क्रय शक्ति लगातार गिर रही है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय विवाद के केंद्र में है। अमेरिका, इजरायल और यूरोपीय देशों के बढ़ते दबाव के बीच जून में ईरान पर हुए हमलों की यादें अभी भी ताजा हैं। इससे पहले 2022-23 में महसा अमीनी की मौत के बाद हुए देशव्यापी प्रदर्शनों में सैकड़ों लोगों की जान गई थी और हजारों गिरफ्तार किए गए थे। मौजूदा हालात में राष्ट्रपति पेज़ेश्कियन के बयान को सरकार की ओर से नरम रुख और संवाद की पहल के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार प्रदर्शनकारियों की मांगों पर कितना अमल कर पाती है।