ज़रा हटके
31-Dec-2025
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-सूर्य पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होगा और चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब वॉशिंगटन,(ईएमएस)। वैज्ञानिकों के लिए सूर्यग्रहण दिलचस्पी का केंद्र रहा है। 2 अगस्त 2027 को धरती पर सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण पड़ेगा। इस दौरान 6 मिनट 23 सेकंड तक ग्रहण के चलते आसमान में अंधेरा छा जाएगा, लेकिन इसके साथ ही यह भी चर्चा है कि क्या पूर्ण सूर्यग्रहण पर पूरी धरती पर अंधेरा छा जाएगा। इसके लिए हमें ग्रहण को समझना होगा कि वे कैसे काम करते है और उनकी अंधेरा करने की क्षमता किसी क्षेत्र विशेष पर कैसे असर डालती है। बता दें सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी के क्रमशः एक सीध में आने के चलते होती है। पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है जब चांद सीधी रेखा में सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। इस संयोजन के चलते सूर्य का कोरोना चांद के पीछे छिप जाता है और पृथ्वी पर चंद्रमा की परछाई पड़ती है। इससे आसमान में शाम जैसा नजारा नजर आता है। इस परछाई को अंब्रा कहते हैं। अंब्रा काफी पतली होती है। अंब्रा कुछ दर्जन से लेकर कुछ सौ किलोमीटर चौड़ी पट्टी हो सकती है जो एक घुमावदार लाइन बनाती है। इसे पाथ ऑफ टोटैलिटी यानी ग्रहण का मार्ग कहा जाता है। इसका मतलब है कि उस पतले मार्ग पर आने वाले लोगों को ही ग्रहण का अंधेरा महसूस होता है। यही वजह है कि कोई भी सूर्य ग्रहण पूरी दुनिया में एक साथ नहीं कर सकता। इसमें 2027 का पूर्ण सूर्यग्रहण भी शामिल है। पृथ्वी के बाकी हिस्सों पर या थोड़ी छाया पड़ती है या बिल्कुल नहीं पड़ता। यह निर्भर करता है कि वे कितनी दूर हैं। पृथ्वी बड़ी है और लगातार घूमती रहती है। इसलिए चांद की छाया एक हिस्से पर ज्यादा देर नहीं पड़ती है। 2027 का पूर्ण सूर्यग्रहण अपनी लंबाई के चलते बेहद खास हो जाता है। यह इसलिए क्योंकि उस दौरान सूर्य पृथ्वी से अपनी अधिकतम दूरी पर होगा जबकि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होगा। इसके चलते यह बड़ा दिखेगा और ज्यादा समय तक छाया को रोकेगा। इस अवधि का पूर्ण सर्यग्रहण 2114 तक नहीं देखा जा सकेगा। यही वजह है कि इसे सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण कहा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2 अगस्त 2027 को होने वाला पूर्ण सूर्यग्रहण पूर्वी अटलांटिक से शुरू होगा। यह उत्तरी अफ्रीका से होते हुए, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र और मिडिल ईस्ट और भूमध्य सागर के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ेगा। मिस्र के लक्सर और असवान में सबसे लंबे समय तक ग्रहण रहेगा। पूर्ण सूर्यग्रहण में आसमान में अंधेरा छा जाएगा। तापमान कम हो सकता है और सूर्य का कोरोना डिस्क के चारों ओर हल्ला चमकेगा। ज्यादातर यूरोप, पश्चिमी एशिया के कुछ हिस्से और पूर्वी अफ्रीका के हिस्से आंशिक दृश्यता वाले क्षेत्र में आएंगे। भारत समेत दुनिया के बाकी हिस्सों में इस ग्रहण का कोई असर नहीं होगा। सिराज/ईएमएस 31 दिसंबर 2025