ज़रा हटके
30-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। यूएमबीसी के वैज्ञानिकों ने भरतनाट्यम पर एक रिसर्च के बाद रोबोट्स को इंसानों की तरह हाथ चलाना सिखाने के लिए एक ट्रेनिंग पैटर्न तैयार किया है। बातचीत करते हुए हाथ हिलाना हमारी बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है। हाथों से भी हम भावनाएं व्यक्त करते हैं। कभी तो ये किसी बात पर जोर देने के काम में आते हैं, तो कभी-कभी पूरी भाषा ही बन जाते हैं, जैसे कि साइन लैंग्वेज। गौर से देखें तो एक हाथ में 20 से ज्यादा जोड़ होते हैं और हमारा दिमाग ज्यादा समय लिए बिना इन्हें तेजी से चलाता है। मैरीलैंड विश्वविद्यालय, बाल्टीमोर काउंटी (यूएमबीसी) के वैज्ञानिक इसके पीछे के रहस्य को समझने के लिए रिसर्च की है। इसमें पता चला है कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम में किए जाने वाले हाथ के इशारे यानी कि मुद्राएं रोबोट्स को उनके हाथों का इस्तेमाल करना बेहतर तरीके से सिखा सकती हैं। इस रिसर्च का मकसद यह समझना है कि इंसान का दिमाग हाथों की बेहद जटिल मूवमेंट्स को बेहद आसानी से कैसे समझता और कंट्रोल करता है। यूएमबीसी में प्रोफेसर रमणा विनजामुरी की टीम की इस रिसर्च का फायदा रोबोट्स को बेहतर हैंड मूवमेंट्स सिखाने के लिए हो सकता है। इस रिसर्च में भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम में इस्तेमाल होने वाली हाथों की मुद्राओं का अध्ययन किया गया है। इसकी बड़ी वजह है मुद्राओं के पीछे छिपा एक तय मतलब। यह दिखने में जितनी सुंदर लगती हैं, उतनी ही ज्यादा बातें भी करती हैं। वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में पाया कि इन मुद्राओं हाथों की मूवमेंट बेहद साफ, संतुलित और नियंत्रित होती हैं। इनकी तुलना रोजमर्रा के कामों में इस्तेमाल होने वाली मूवमेंट्स से की गई तो सामने आया कि इन मुद्राओं में ज्यादा तरह की बेसिक मूवमेंट्स का ही इस्तेमाल होता है। इस वजह से इनके जरिए रोबोट्स के दिमाग के लिए एक अच्छा ट्रेनिंग पैटर्न तैयार किया जा सकता है। अपनी रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि दिमाग हर उंगली को अलग-अलग तरह से कंट्रोल नहीं करता। वह इन्हें कुछ ग्रुप मूवमेंट्स बनाकर कंट्रोल करता है और वैज्ञानिक भाषा में इसे साइनर्जी कहा जाता है। जैसे कि कुछ अक्षर मिलकर एक भाषा बनाते हैं वैसे ही कुछ साइनर्जी मिलकल कई तरह के हाथों के इशारे बनाती हैं। इस रिसर्च टीम ने 75 अलग-अलग हाथों के पोज रिकॉर्ड किए जैसे कि नृत्य मुद्राएं, सामान्य पकड़ने से जुड़ी मुद्राएं और साइन लैंग्वेज के संकेत आदि। इसका नतीजा यह रहा कि नृत्य की मुद्राओं से बनी साइनर्जी, दूसरे इशारों को और भी ज्यादा सही तरीके से दोहरा पाती हैं। रिसर्च से निकली साइनर्जी का इस्तेमाल करके वैज्ञानिकों ने रोबोट्स को ट्रेन किया है। इसकी मदद से रोबोट्स को हाथों की हर अलग-अलग मूवमेंट्स को अलग-अलग याद नहीं कराना पड़ा। इससे उन्हें सिखाया गया कि कैसे बेसिक मूवमेंट्स को आपस में कब जोड़ना है। इस डेटा की मदद से रोबोट का हाथ कम डेटा से भी नए-नए इशारे बना सका। इसकी मदद से रोबोट्स के लिए साइन लैंग्वेज या किसी चीज को पकड़ना काफी आसान हो गया। सुदामा नरवरे/28 दिसंबर 2025