ज़रा हटके
05-Mar-2023
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-एरिथ्रिटोल में होता है रक्त का थक्का बनाने वाले नेचर नई दिल्ली (ईएमएस)। जीरो कैलोरी शुगर लेने से ब्लड क्लॉटिंग से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम भी तेजी से बढ़ता है। शोध के अनुसार, एरिथ्रिटोल में रक्त का थक्का बनाने वाले नेचर होता है। ये प्लेटलेट्स को ज्यादा रिस्पॉन्स करने वाला बना देता है। यही वजह है कि 10 प्रतिशत से भी कम एरिथ्रिटोल 90 से 100 प्रतिशत तक क्लॉट फॉर्मेशन कर पाता है। शोध में शामिल सीनियर वैज्ञानिक डॉ स्टेनले हेजेन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जीरो-शुगर जूस पसंद करने वाले ज्यादा खतरे में हैं क्योंकि वे एरिथ्रिटोल की बड़ी मात्रा बेखौफ कंज्यूम करते हैं। वे मानकर चलते हैं कि जीरो-शुगर यानी कोई खतरा नहीं, जबकि अंदर ही अंदर ब्लड प्लेटलेट्स में क्लॉटिंग की प्रवृति बढ़ रही होती है। लंबे समय से यही बताया जाता है कि लो या जीरो-कैलोरी स्वीटनर सेफ हैं, लेकिन अब कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का खतरा जानने के लिए इसपर ग्लोबल रेगुलेशन की जरूरत भी बताई जा रही है।ये एक आर्टिफिशियल स्वीटनर हैं, जिसका उपयोग खाद्य उत्पादों में मिठास के ऑप्शन के रूप में किया जाता है। प्राकृतिक रूप से यह मशरूम, अंगूर, खरबूजे और नाशपाती जैसे फलों में भी पाया जाता है वहीं फर्मेंट चीजों में सोया सॉस, शराब और चीज में भी इसकी बड़ी मात्रा होती है। कमर्शियली तैयार करने की बात करें तो इसे मकई या गेहूं के स्टार्च से ग्लूकोज के फर्मेंटेशन के जरिए बनाते हैं। सफेद, भुरभुरे पावडर की तरह दिखते इस शुगर रिप्लेसमेंट को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने भी लगभग सेफ बताया। जिसके बाद से इसका कंजप्शन बढ़ता चला गया। चीनी से लगभग 70 गुना मीठी इस चीज में कैलोरी नहीं होती। इसी वजह से ये उन लोगों को पसंद आता है जो कैलोरी खाना टालते हैं। साथ ही डायबिटिक मरीजों के खाने का भी ये हिस्सा हो जाता है। असल में इसे खाने से ब्लड शुगर के स्तर पर कोई असर नहीं होता। तो इस तरह से लंबे समय से आर्टिफिशयल स्वीटनर खाने में शामिल रहा। ये हमारे जीभ की स्वाद कलिकाओं से जुड़ते हैं और मीठा होने का संकेत ब्रेन तक भेजते हैं। यहां तक तो ठीक है, लेकिन असर मुश्किल इसके बाद शुरू होती है। स्वीटनर शरीर द्वारा अवशोषित नहीं हो पाता है। इससे पाचन तंत्र की दिक्कतें हो सकती हैं। इसके अलावा कई तरह की दवाओं के साथ इसके रिएक्शन पर भी अध्ययन आ चुके हैं। माना जाता है कि अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री देने के बाद सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही आर्टिफिशियल स्वीटनर लिया जाना चाहिए। बता दें कि क्लीवलैंड क्लिनिक लर्नर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने यूनाइटेड किंगडम और यूरोप में लगभग 4 हजार लोगों के सैंपल साइज पर स्वीटनर के असर को देखा। इसमें पाया गया कि कम ही समय में एरिथ्रिटोल अपना असर दिखाने लगता है। खून में उसका स्तर बढ़ता चला जाता है, जिससे खून के गाढ़ा होने की आशंका बढ़ती है। सुदामा/ईएमएस 05 मार्च 2023