लेख
26-Mar-2023
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राहुल गांधी की सदस्यता संसद से खत्म हो गई। भारतीय जनता पार्टी पिछले एक माह से काफी प्रयास कर रही थी। पहले संसद के अंदर उनकी सदस्यता को समाप्त करने के प्रयास हुए। किंतु उसके बाद एक आसान तरीका समझ में आया,कि कोर्ट के माध्यम से यदि उनकी सदस्यता समाप्त होती है। तो सरकार और भाजपा को कोई राजनीतिक नुकसान नहीं होगा। सूरत की न्यायालय में मानहानि का मामला चल रहा था। गुजरात के मानहानि मामले मे राहुल गांधी की सदस्यता को समाप्त करने की रणनीति तैयार की गई। इस रणनीति में सफलता मिली। कोर्ट से सजा मिलने के साथ ही आनन-फानन में राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी गई। जैसा भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने सोचा था। वैसी सफलता पाने में वह सफल रहे। समय से बड़ा बलवान कोई होता नहीं है। जब समय अच्छा होता है। तब सारी चीजें अच्छी ही अच्छी होती हैं। लेकिन जब समय खराब चल रहा हो,तो उस समय अच्छी चीजें भी खराब हो जाती हैं। यही हाल सूरत के न्यायालय द्वारा मानहानि वाले मामले मे हुआ। राहुल गांधी को कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई। कोर्ट के आदेश के आधार पर संसद से उनकी सदस्यता आनन-फानन में निरस्त कर दी गई। भाजपा को भरोसा था, कि न्यायालय के आदेश पर सदस्यता खत्म करने के कारण, कांग्रेस और राहुल गांधी दबाव में आएंगे। विपक्ष पर दबाव बढ़ेगा। इससे अडानी वाले मामले को ठंडा किया जा सकेगा। निश्चित रूप से अभी तक न्यायालय के कंधे पर बंदूक रखकर सरकार और भाजपा ने कई बड़ी सफलताएं हासिल की थी। राफेल जैसे कम से कम एक दर्जन मामले ऐसे थे। जिसमें न्यायालय के निर्णय से सरकार और भाजपा को राहत मिली थी। विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी। सरकार जो चाहती थी, वह न्यायालय के आदेश की आड़ पर करा लेती थी। पहली बार समय की बलिहारी ऐसी रही, कि सूरत की कोर्ट का दांव बिल्कुल उल्टा पड़ गया। पिछले कुछ महीने से विपक्षियों के ऊपर जिस तरह से ईडी, सीबीआई और कानून का डंडा दिखाकर विपक्षियों को प्रताड़ित किया जा रहा था। उसकी भी एक सीमा होती है। सरकार ने यह सीमा रेखा पार कर ली है। सीबीआई और ईडी के अधिकारी जिस तरह से लालू यादव के परिवार जनों को भी घसीट कर बाहर निकाल कर ले आए। दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर एक के बाद एक करके केस लगाकर जेल में बंद रखा जा रहा है। उसके बाद विपक्षी दलों में भी एक भय का वातावरण बना। अभी विरोध नहीं किया, तो एक-एक करके सब के साथ, यही हश्र होने वाला है। सूरत की न्यायालय से जिस तरीके से राहुल गांधी के मामले में सजा का फैसला कराया गया। कॉलेजियम को लेकर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट को सरकार धमका रही है। न्यायालयों का किस तरीके से उपयोग, राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में किया जा रहा है। यह सब उजागर हो गया है। कांग्रेस एवं विपक्षी दल इस बात को अच्छी तरह से समझ गये है। राहुल गांधी ने भी जान लिया है, कि प्रधानमंत्री मोदी की जान गौतम अडानी में बसती है। अडानी की बात करते ही सरकार ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अडानी के बचाव में सामने खड़े नजर आते हैं। हमले अडानी के ऊपर किए जा रहे हैं। विचलित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरकार और भाजपा हो रही है। अति सर्वत्र वर्जिते,का सूत्र शास्त्रों में दिया गया है। अति कुछ ज्यादा ही हो गई है। समय भी अब सरकार के अनुकूल नहीं चल रहा है। जब समय खराब हो, तो एक के बाद एक ऐसी ही प्रतिकूल परिस्थितियां निर्मित होती हैं। रावण की कैद में सभी ग्रह थे। जब राम रावण युद्ध चल रहा था। रावण को विश्वास था कि जब सारे ग्रह हमारे पास कैद हैं। तो राम क्या बिगाड़ लेंगे। लेकिन रावण का समय खराब था। एक-एक करके रावण के परिवार के सभी शक्तिशाली योद्धा एक के बाद एक धराशाई होते चले गए। राहुल गांधी अडानी पर सवाल पूछते रहेंगे। जेल जाने के लिए तैयार हैं। 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ने का जोखिम उठाने के लिए भी तैयार हैं। ऐसे आदमी से निपटना बड़ा मुश्किल होता है। जब कोई भी व्यक्ति इस स्तर पर आ जाता है। तो उससे जीतना भगवान के लिए भी बड़ा मुश्किल होता है। भगवान वरदान उन्हीं को देते हैं जो तपस्या मन से करते हैं। उसमें कोई दुर्भावना नहीं होता है। राहुल गांधी ने जिस तरह से अब राजनीतिक सफर को जनता की लड़ाई के रूप में तब्दील कर दिया है बिना किसी डर और भय के वह अपना काम कर रहे हैं परिणामों की उन्हें कोई चिंता नहीं रही। यह वर्तमान सरकार और भारतीय जनता पार्टी को समझना होगा। अभी तक जिस रणनीति के बल पर वह सफल होते आए हैं। वही रणनीति अब उन्हें पतन की ओर ले जा रही है। ईएमएस / 26 मार्च 23