ट्रेंडिंग
27-Dec-2025
...


हिंसा से बचने सीमा खोलने की लगाई गुहार, रहमान के आने से हालात और बिगड़ने का अंदेशा नई दिल्ली,(ईएमएस)। बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की लिंचिंग के बाद वहां के अल्पसंख्यकों में दहशत पैदा हो गई है। यहां के हिंदू फैली हिंसा से बचने के लिए भारत से सीमाएं खोलने की गुहार लगा रहे हैं। वे भारत सरकार से मदद मांग रहे हैं। वहीं, अब तो बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी के नेता तारिक रहमान की एंट्री से माहौल और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है। तारिक रहमान को वहां का कट्टरपंथी नेता माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रंगपुर के रहने वाले एक 52 साल के शख्स ने बताया कि हमें अपने धर्म के कारण लगातार अपमान झेलना पड़ता है, लेकिन बार-बार होने वाले इस अपमान पर हम प्रतिक्रिया नहीं दे पाते। हम फंस गए हैं और हमारे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है। हमें डर है कि कहीं हमारा भी वही हाल न हो जो दीपू या अमृत का हुआ था। सबसे बड़ी चिंता यह है कि चुनाव के बाद बीएनपी का सत्ता में आना, क्योंकि इसे अल्पसंख्यकों का शत्रु माना जाता है। हम बेबस हैं। हम सिर्फ भारत भाग सकते हैं, लेकिन सीमाओं पर कड़ी निगरानी है। ढाका के एक हिंदू शख्स ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी ने उन्हें और भी चिंतित कर दिया है। अगर बीएनपी सत्ता में आती है, तो हमें और भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है। शेख हसीना की अवामी लीग ही हमारी एकमात्र रक्षक थी। पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थियों के संगठन निखिल बांग्ला समन्वय समिति के अध्यक्ष डॉ. सुबोध बिस्वास ने कहा कि संकट के समय बांग्लादेश के हिंदू केवल भारत पर ही भरोसा कर सकते हैं। हम सीमा पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं। सनातन जागरण मंच के एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बांग्लादेश में 2.5 करोड़ हिंदू हैं। यह कोई छोटी संख्या नहीं है। भारत में हिंदू संगठन सिर्फ दिखावे की बातें कर रहे हैं। हम एक नरसंहार की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं, मयमनसिंह के रहने वाले शख्स ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सीमाएं खुलने के बाद हिंदुओं का पलायन होगा, लेकिन कम से कम हम हिंसा से सुरक्षित तो रहेंगे। एक अन्य हिंदू शख्स ने कहा कि हम सबसे बुरे सपने जैसी जिंदगी जी रहे हैं। भारतीय सीमाएं खुलने से कम से कम उत्पीड़न का सामना कर रहे लोगों के लिए एक सुरक्षित रास्ता तो खुल जाएगा। कई लोग बांग्लादेश में मुश्किल से गुजारा करते हैं। सिराज/ईएमएस 27दिसंबर25 -----------------------------------