क्षेत्रीय
03-Jun-2023
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कोरबा (ईएमएस) कोरबा-पश्चिम क्षेत्र से 7 किलोमीटर पदयात्रा कर कलेक्टोरेट पहुंचे भू-विस्थापितों ने एसईसीएल में 2012 की कोल इंडिया पॉलिसी से खदान प्रभावित गांवों के भू-विस्थापितों को कट ऑफ सिस्टम से मिल रहे रोजगार व पुनर्वास नीति को रद्द करने की मांग की। इस पैदल रैली में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं। पहले की तरह हर खाते में रोजगार देने की मांग करते हुए आवाज बुलंद की। चिलचिलाती धूप के बावजूद सुबह 10 बजे से खदान प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की सर्वमंगला चौक पर भीड़ जुटनी शुरू हो गई। यहां से सुबह 11 बजे कलेक्टोरेट कूच किया। एसईसीएल कुसमुंडा खदान से प्रभावित भू-विस्थापितों ने कंपनी प्रबंधन से अपनी मांगें मनवाने एकजुटता दिखाई है। रैली की अगुवाई खदान प्रभावित गांवाें के भू-विस्थापित कर रहे थे, जिन्होंने पदयात्रा को सफल बनाने हफ्ते भर से तैयारी में जुटे रहे। सर्वमंगला चौक से शुरू भू-विस्थापितों की पदयात्रा पॉवर हाऊस रोड से सीएसईबी चौक होते हुए दोपहर करीब 2.30 बजे कलेक्टोरेट मुख्य द्वार पर पहुंचे। भू-विस्थापितों को गेट पर ही रोक दिया गया। मांग संबंधी तख्ती रखे भू-विस्थापितों ने एसईसीएल प्रबंधन की रोजगार, पुर्नवास को लेकर अपनाई जा रही नीति काे बदलने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। एसईसीएल जमीन अधिग्रहण के बदले नियमानुसार कंपनी में प्रभावितों को रोजगार देती है। एसईसीएल में लागू 2012 की कोल इंडिया पॉलिसी से रोजगार दिया जा रहा है। प्रबंधन किसी भी गांव के जमीन अधिग्रहित करने पर सर्वे कर आंकड़े तैयार करती है। इसके बाद रोजगार के घटते क्रम में बनाई सूची में शामिल पात्र भू-विस्थापितों को ही नौकरी मिलती है। इसकी वजह से रोजगार से वंचित भू-विस्थापितों ने प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और पुरानी नीति लागू करने मांग की जा रही है। जटराज निवासी जाेगीराम पटेल ने बताया कि 20 दिनों के भीतर उनकी मांगें पूरी नहीं होने पर खदान बंदी आंदोलन करने बाध्य होंगे। कलेक्टोरेट तक पदयात्रा निकालकर प्रशासन का ध्यान आकृष्ठ कराया गया है। जब तक उन्हें बसाहट स्थल नहीं दिया जाता है खदान प्रभावित गांवों में कोयला खनन से उड़ते डस्ट से राहत देने पहल और हैवी ब्लॉस्टिंग की तीव्रता कम कर हो रहे नुकसान को रोका जाए। साल 1978 से 1996 के बीच ग्राम जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, गेवरा, भैंसमाखार, मनगांव, जटराज, सोनुपरी, दुल्लापुर व खम्हरिया के भू-विस्थापितों को पुरानी नीति से रोजगार मिला। उस समय जिन अधिग्रहित जमीन पर नौकरी के लिए नामांकन नहीं भरा गया था, उन खाते पर प्रभावित परिवार के सदस्यों ने नामांकन भरा है। जिनके रोजगार के प्रकरण लंबित है। भू-विस्थापितों का आरोप है कि दस्तावेजों में किसी प्रकार की कमी नहीं है उन्हें भी नौकरी देने के बजाय घुमाया जा रहा है।