राज्य
08-Jun-2023
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- सत्र विलंब के कारण छात्रो को नहीं मिल पा रही स्कॉलरशिप - परेशान हजारों भांजे-भांजियां परिवार सहित देंगे मामा को जवाब जबलपुर(ईएमएस)। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) प्रबंधन इस बार प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकार की लुटिया न डुबो दे। एमयू के साथ राजनीतिक हलकों से जुड़े थिंक टैंक कयास लगा रहे हैं कि एमयू से संबद्ध प्रदेश के 5 सैकड़ा से अधिक कॉलेजों में अध्ययनरत 80 हजार से अधिक विद्यार्थियों के साथ उनके साथ अभिभावकों में एमयू प्रबंधन से खासी नाराजगी है। नाराजगी की वजह एमबीबीएस, एमडी की परीक्षाओं, शोध एवं शैक्षणिक सत्र के अलावा नर्सिंग, पैरामेडिकल, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी सहित अन्य शैक्षणिक सत्र दो से तीन वर्ष विलंब है। जिसमें एमयू प्रबंधन सुधार नहीं कर पा रहा है। एमयू सूत्रों के मुताबिक चूंकि एमबीबीएस और एमडी एवं शोध से जुड़े विद्यार्थियों में एक बड़ा प्रतिशत न्यायिक, ब्यूरोक्रेट्स, राजनीतिक हलकों एवं प्रभावशाली व्यक्तियों के परिवारों से होता है जिसके चलते इसके सत्र, परीक्षा और रिजल्ट में एमयू प्रबंधन चाह कर भी देरी या लापरवाही नहीं कर पाता। वहीं दूसरी तरफ नर्सिंग, पैरामेडिकल, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी सहित अन्य शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े विद्यार्थियों में बड़ा प्रतिशत आम नागरिकों के परिवारों से जुड़ा होता है, लिहाजा एमयू प्रबंधन इसके सत्र, परीक्षाओं, परीक्षा परिणामों के साथ अन्य विषयों में जानबूझकर या अन्य कारणों से अरसे से लापरवाही बरत रहा है। आलम ये है कि इनके सत्र दो से तीन वर्ष विलंब से चलने से विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में नजर आने लगा है। वर्तमान में वैसे ही नौकरियों का अकाल है ऐसे में एमयू प्रबंधन की लेट लतीफी विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों के साथ अन्य परिजनों और परिचितों को भी खासी अखर रही है। जिसका प्रतिकार, विरोध या अपने आक्रोश का प्रदर्शन विद्यार्थी एवं अभिभावक चाह कर भी नहीं कर पा रहे हैं। एमयू प्रबंधन की कथित लापरवाही से नाराज 80 हजार से अधिक विद्यार्थियों के अभिभावक और अन्य परिजन और परिचितों ने इसके विरोध के लिए अब रास्ता खोज लिया है। उनकी मानें तो वे आगामी चुनावों में अपना विरोध अपने मतों के जरिए प्रदर्शित करेंगे। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक 80 हजार विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों का आक्रोश प्रदर्शन वर्तमान में सूबे की सियासत में कब्जा रखने वाली सरकार को भारी पड़ सकता है। 4 से 8 करोड़ वोट डाल सकते हैं असर राजनीति से जुड़े थिंक टैंकों की मानें तो 80 हजार विद्यार्थी और उनके परिजन भी यदि नाराज हों तो सरकार के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। उनकी मानें तो 80 हजार से अधिक विद्यार्थियों के परिवारों में यदि 5 लोग ही हैं तो यह आंकड़ा ४ लाख वोट का हो जाता है। यदि इन वोटर्स को इन्फ्लुऐंसर मानते हुए अंदाजा लगाया जाए तो एक इन्फ्लुएंसर की पहुँच कम से कम 100 से 200 लोगों तक होती है। जिनसे यदि ये लगातार मौखिक ही अपनी बात रख कर एमयू प्रबंधन, स्वास्थ्य शिक्षा संचालनालय और सरकार का विरोध साधारण तरीके से ही करते हैं तो यह 4 से 8 करोड़ लोगों के वोट प्रभावित कर सकता है। चुनावों में एक वोट भी महत्वपूर्ण होती है फिर 4 से 8 करोड़ वोट क्या असर डाल सकते हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि इन इन्फ्लुऐंसर की रीच 1 से 2 हजार लोगों तक हो तो यह आंकड़ा 40 से 80 करोड़ वोट भी प्रभावित कर सकता है। इसी अनुपात को देखते हुए राजनीतिक पंडित कयास लगा रहे हैं कि कहीं एमयू प्रबंधन प्रदेश की सत्ताधारी सरकार की लुटिया न डुबो दे।