राज्य
13-Apr-2024
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पटना (ईएमएस)। खालसा पंथ के 325 वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को गुरुद्वारा गुरु का बाग से सिखों ने नगर कीर्तन निकाला। गुरु का बाग से अशोक राजपथ के विभिन्न क्षेत्रों से घूमते हुए नगर कीर्तन शाम 7:00 बजे तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब पहुंचा। जहा पुष्प वर्षा के साथ वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह, राज करेगा खालसा, आकी रहे न कोय, बोले सो निहाल- सत श्री अकाल जैसे धार्मिक नारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो रहा था। शोभायात्रा का मुख्यमार्ग में जगह-जगह स्वागत किया गया। खालसा पंथ के 325 वें स्थापना दिवस पर आयोजित बैसाखी जुलूस की अगुवाई पंज-प्यारे कर रहे थे। नगर-कीर्तन में श्री गुरु गोविंद सिंह बालक व बालिका उच्च व मध्य तथा श्री गुरु नानक सेंट्रल स्कूल के बच्चों द्वारा किया गया मार्च पास्ट आकर्षक था। रंग-बिरंगे पोशाक में सजे बच्चे विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजा अपनी धुनों पर सबको झूमा रहे थे। संपूर्ण मुख्यमार्ग धार्मिक नारों जैसे वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह, राज करेगा खालसा, आकी रहे न कोय, बोले सो निहाल- सत श्री अकाल से गूंजता रहा। धार्मिक धुन भक्तिमय माहौल बना रहे थे। गुरु का बाग में तीन दिनों से चल रहे अखंड पाठ की समाप्ति भी शुक्रवार को हुई। इसके बाद हजूरी रागी जत्था भाई जोगिंदर सिंह, भाई दिनेश सिंह, आलमबाग लखनऊ पाटियाला के भाई कवलप्रीत सिंह व लखविंदर सिंह तथा होशियारपुर के भाई अवतार सिंह के शबद कीर्तन से संगत निहाल हुई। हजूरी कथावाचक ज्ञानी गगनदीप सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना पर प्रकाश डाला। जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह के अरदास व हुकूमनामा के साथ विशेष दीवान की समाप्ति के अटूट लंगर चला। नगर कीर्तन में शामिल महिला-पुरुष सिख श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और आस्था के साथ दशमेश गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराया। नगर-कीर्तन में आगे-आगे ऊंट व हाथी पर बच्चे सवार थे। पीछे पांच बैंड, कीर्तनी जत्था व पालकी के आगे पंज-प्यारे हाथ में तलवार लिए चल रहे थे। गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी जहां से गुजर रही थी उस पर श्रद्धालु फूलों की बारिश कर रहे थे।