राष्ट्रीय
21-Apr-2024
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नालंदा (ईएमएस)। जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थंकर महावीर जी का जन्म चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हुआ था। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म उत्सव जैन अनुयायी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। कुंडलपुर की पावन धरा पर चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। नालंदा में रविवार को भगवान महावीर की 2623वीं जन्मोत्सव पर दो दिवसीय महोत्सव के पहले दिन कुंडलपुर समिति के द्वारा भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। भगवान महावीर की नन्हें बाल रूप की प्रतिमा को विशेष रथ पर विराजमान कर जैन श्रद्धालुओं ने गाजे बाजे एवं गीत नृत्य कर नगर भ्रमण कराया। नगर भ्रमण के दौरान जैन अनुयायियों ने भगवान महावीर के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाया। भ्रमण के बाद भगवान महावीर के मुख्य मंदिर में विराजमान प्रतिमा का पंचामृत से महामस्तक अभिषेक किया गया। कुंडलपुर की पावन धरा से भगवान महावीर ने पूरे विश्व में सत्य और अहिंसा का संदेश दिया था। उन्होंने जन-जन को जियो और जीने दो के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया था। भगवान महावीर ने संसार को पांच सिद्धांत बताए हैं, जो आज भी लोगों को समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं।