क्षेत्रीय
16-May-2024
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ग्वालियर (ईएमएस) । इमारत जितनी भव्य और विशाल होती है उसकी नींव भी उतनी गहरी होती है। जीवन की धरती पर धर्म की इमारत ख़डी करने के लिए मानवता की गहरी नींव चाहिए। जिस व्यक्ति का हृदय मानवता के सद्गुणों से शून्य है उस व्यक्ति के द्वारा किए गए धार्मिक क्रियाकलाप सार्थक परिणाम देने में समर्थ नहीं हैं। यह विचार श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने आज गुरुवार को फूलबाग स्थित जैन सिद्धक्षेत्र गोपाचल पर्वत पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा कि हृदय की पवित्रता ही धर्म का आधार है अत: व्यक्ति को अपने हृदय को शुद्ध बनाना चाहिए। हृदय की मलिनता धर्म की तेजस्विता को ख़त्म कर देती है। धर्म की साधना करने के पूर्व मानवता के सद्गुणों का विकास बेहद जरुरी है। मानवता की नींव पर ही धार्मिकता का महल ख़डा होता है। मुनिश्री ने गोपालचल पर भगवान जिनेंद्र दर्शन कर अभिषेक व शांतिधारा कराई जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विनय सागर महाराज एवं क्षुल्लक श्री विधेय सागर महाराज ससंघ आज गोले का मंदिर से फूलबाग स्थित जैन तीर्थ गोपाचल पर्वत दर्शन व वंदन के लिए पहुँचे। मुनिश्री ने विश्व की सबसे बड़ी विशाल प्रतिमा 42 फुट ऊची पद्मासन भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन कर पहाड़ की वंदन परिक्रमा की। मुनिश्री ने भगवान जिनेंद्र का अभिषेक मंत्रो के साथ कलशों में जल लेकर जैन समाज के समाजजनो ने पीले वस्त्रों धारण कर जयकारों के साथ किए। मुनिश्री ने अपने मुख्यबिंद से शांतिधारा कराई गई।