लेख
10-Sep-2024
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उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की शाहगंज तहसील के नायब तहसीलदार कार्यालय में एक प्राइवेट कर्मी ने अपना दुखड़ा जिले के कलेक्टर साहब को पत्र में लिखकर भेजा है, इस प्राइवेट कर्मी का कहना है कि रोजाना पचासों लोग अपना काम करवाने के लिए उनके साहब के पास आते हैं और वो तथा उसके दो साथी काम के बदले मिलने वाली रिश्वत की राशि इकट्ठी करते हैं शाम को साहब हिसाब करते हैं तो हम तीनों को मात्र पांच पांच सौ रुपए देकर बाकी पूरा माल अपनी जेब में रख लेते हैं ,उसका कहना है कि आज इस महंगाई के युग में पांच सौ रुपए की औकात ही क्या है कम से कम हजार रुपए रोज तो मिलना ही चाहिए। दिन भर मेहनत करते हैं रिश्वत के मिलने वाले नोटों का हिसाब किताब रखते हैं और शाम को कुल जमा पांच सौ रुपल्ली हाथ में आती है। इस प्राइवेट कर्मी का दर्द सचमुच बड़ा पीड़ा दायक है नायब तहसीलदार साहब को इन लोगों का दर्द महसूस करना चाहिए कि बेचारे ईमानदारी से उनकी रिश्वत का पूरा हिसाब किताब रखते हैं, किसने कितना दिया, किस से कितना लेना है, किसने एडवांस दिया, किसका काम हो गया तो पूरा पैसा मिल गया, बड़ा कठिन काम है डायरी भी नहीं रख सकते कि कभी अगर पकड़े गए तो डायरी से सारी पोल खुल जाएगी इसलिए सारा हिसाब किताब दिमाग में रखना पड़ता है, अब सोचो आप दिमाग पर कितना जोर नहीं डालना पड़ता होगा और नायब तहसीलदार साहब इन गरीबों को मात्र पांच पांच सौ के नोट पकड़ा कर सारा माल समेट कर अपने घर निकल जाते हैं। जब कलेक्टर साहब के पास ये आवेदन पहुंचा तो वो भी चकरा गए, वैसे चकराने की कोई बात थी नहीं क्योंकि किसी भी सरकारी दफ्तर में विशेष कर राजस्व विभाग में अगर आपको कोई काम है तो पटवारी से लेकर एसडीएम तक आपको सेवा तो करना ही पड़ेगी, सबसे पहली सीढ़ी तो पटवारी है अगर उस सीढी को ही आप पार नहीं कर पाए तो फिर आपका काम तो होने से रहा। उस प्राइवेट कर्मी के आवेदन पत्र पर कलेक्टर साहब क्या निर्णय लेते हैं अभी उसक पता नहीं लग पाया है लेकिन उस बेचारे का साफ कहना है की पांच सौ रुपए रोज में अब घर नहीं चलता, नायब तहसीलदार साहब कम से कम हजार रुपए रोज तो दें ताकि उसके घर का चूल्हा जल सके लेकिन साहब एक पैसा बढ़ाने तैयार नहीं है, हो सकता है कलेक्टर साहेब इन को इशारा कर दें कि भाई थोड़ा बहुत बढ़ा दो हजार ना सही सात सौ कर दो वरना फिर हमें भी कोई ना कोई कार्यवाही तो करना पड़ेगी। एक तरफ बुलडोजर बाबा सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी बंद करने का दावा कर रहे हैं वही उन्हीं के नाक के नीचे अगर प्राइवेट कर्मी अपने नायब तहसीलदार साहब के अन्याय के खिलाफ चिट्ठी लिख रहा है तो बाबा जी को देखना होगा। वैसे इस प्राइवेट कर्मी की हिम्मत की दाद देना पड़ेगी कि कम से कम उसने दफ्तर में होने वाले भ्रष्टाचार और उससे होने वाली कमाई के बारे में बड़े साहब तक खबर तो पहुंचा दी और यह भी मांग कर दी के उसका रोज का पारिश्रमिक बढ़ाया जाए। जिंदगी के साथ भी और उसके बाद भी भारतीय जीवन बीमा निगम का एक स्लोगन है जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी लगता है इस स्लोगन को जीएसटी ने भी अपना लिया है इंसान जब तक जिंदा रहता है हर चीज में उसको जीएसटी देना ही पड़ती है अब सतना में नगर निगम ने एक आदेश जारी करके कह दिया है कि विद्युत शव दाह गृह में जो भी मुर्दा आएगा उसको अंतिम संस्कार के पहले अठारह पर्सेंट जीएसटी देना पड़ेगी यानी हर मुर्दे के लिए ये संदेश है कि वो अपने मरने के पहले घर वालों को साफ-साफ बता दे कि भैया विद्युत शवदाहगृह में जितना भी पैसा लगे उसमें 18 पर्सेंट जीएसटी जरूर जोड़ लेना वरना ऐसा ना हो के तुम लोग जीएसटी ना दो और शवदाह गृह के कर्मचारी हमें बाहर फेंक दें। बताया तो यह जाता है कि अंतिम संस्कार, दफन, शव के परिवहन में कोई जीएसटी नहीं लगती है लेकिन सतना नगर निगम ने तो मुर्दों पर भी जीएसटी लगा दी। नगर निगम का कहना है कि जब जिंदा रहते हर चीज पर इंसान जीएसटी दे रहा है तो अपने मरने पर जीएसटी देने में देने पर उसे एतराज नहीं होना चाहिए और फिर जीएसटी कोई उसकी जेब से तो जाना नहीं है वो तो दुनिया छोड़कर जा चुका है उसके पीछे उसके घर वालों को ही उसके अंतिम संस्कार के लिए पैसा खर्च करना है और जब पैसा खर्च करना ही है तो फिर 18 पर्सेंट जीएसटी देने में दिक्कत क्या है। मान गए अपन, लोग बाग कहते हैं की मुर्दे से कोई कोई कुछ वसूल नहीं कर सकता लेकिन अपने सतना नगर निगम ने इस मिथक को भी तोड़ दिया और मुर्दे से भी 18 पर्सेंट जीएसटी वसूलना शुरू कर दिया। धंधे का टाइम आ गया सुना है कि प्रदेश की सरकारी कर्मियों के तबादलों पर जो प्रतिबंध लगा हुआ था वो 15 अक्टूबर से खत्म होने वाला है और प्रदेश में तबादलों की बाढ़ आने वाली है। जब से ये खबर आई है तबसे तमाम नेताओं, मंत्रियों, अफसरों के चेहरे खुशी से लाल हो रहे हैं कि अब धंधे का टाइम आ गया है एक साल से धंधा मंदा पड़ा था लेकिन अब ऊपर वाले ने रास्ता खोल दिया है अब मंत्रियों के, बड़े अफसरों के, उनके खास लोगों के,दलालों के दरवाजों पर भीड़ लगेगी। किसको मलाईदार पोस्ट चाहिए, किसको कहां जाना है, ये यही लोग तय करेंगे दलाल भी सक्रिय हो चुके हैं अभी से उन्होंने अपने-अपने ग्राहक तय कर लिए हैं कई जगह तो एडवांस का लेनदेन भी शुरू हो गया है साल भर में एक ही मौका तो ऐसा आता है जब धंधा जम के चलता है देखना तो ये है कि मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव भी इसी ढर्रे पर चलते हैं या फिर इस धंधे पर रोक लगाते हैं। सुपर हिट ऑफ़ द वीक आज बड़े मैदान में कुत्तों की रेस होने वाली है मुझे मुझे वहां जाना है श्रीमान जी ने श्रीमती जी से कहा आप भी न हद करते हो, ठीक से चला जाता नहीं और रेस लगाने की पड़ी है श्रीमती जी ने उत्तर दिया। ईएमएस/ 10 सितम्बर 24