ज़रा हटके
13-Sep-2024
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-हवाओं में है लोहे के सूक्ष्म कण मौजूद, गिरते हैं पिघल-पिघल कर जेनेवा,(ईएमएस)। वैज्ञानिकों ने ऐसा ग्रह खोजा है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। इस ग्रह का नाम है डब्ल्यूएएसपी-76बी। यहां के मौसम में हवा है लेकिन बहुत तेज गति में चलती है, हवा में लोहे के सूक्ष्म कणों की मात्रा बहुत ज्यादा है। दिन का तापमान 2000 डिग्री सेल्सियस है। यानी आप वहां गए और पिघल गए। हैरानी की बात है ये ग्रह अपने तारे से टाइडली लॉक्ड है यानी जुड़ा हुआ है। जैसे हमारा चांद। इसलिए इसके चारों तरफ तेज हवाएं चलती रहती हैं। इनमें लोहे के कणों की मात्रा भी बहुत ज्यादा है। ये लगातार वायुमंडल में कभी ऊपर तो कभी नीचे होती रहती हैं यानी यहां लोहे के कणों की परतें बिछी हैं। जो ज्यादा तापमान की वजह से दिन में पिघल-पिघल कर इस ग्रह की सतह पर गिरते रहते हैं। यह एक एक्सोप्लैनेट है यानी बाहरी ग्रह। बाहरी इसलिए क्योंकि ये हमारे सौर मंडल में नहीं है। 1990 से लेकर अब तक वैज्ञानिकों ने ऐसे 5200 बाहरी ग्रहों की खोज की है। इनमें से कई बृहस्पति और शनि जैसे बड़े हैं। कुछ चट्टानी तो कुछ पृथ्वी जैसे हैं। लेकिन उनमें रहने लायक जगह है या नहीं ये अभी तक पता नहीं चल सका है। डब्ल्यूएएसपी-76बी ने हाल ही में ध्यान आकर्षित किया है। यह एक अल्ट्रा-हॉट गैस प्लैनेट है, हमारी पृथ्वी से करीब 640 प्रकाश साल दूर है। पाइसेस नक्षत्र की ओर मौजूद इस ग्रह की खोज साल 2013 में हुई थी। तब से इसका अध्ययन किया जा रहा है। इसकी कक्षा अपने मेजबान तारे के बहुत करीब है। यह अपने तारे का एक चक्कर सिर्फ 1.8 दिन में पूरा करता है। इसका एक हिस्सा हमेशा रोशनी में रहता है। दूसरा हिस्सा अंधेरे में। इसलिए दिन में पारा 2000 डिग्री सेल्सियस रहता है। लोहे के कण हवा में तैरने लगते हैं लेकिन रात में ठंडा होने पर लोहे के कण हवा से गिरकर जमीन पर बैठ जाते हैं। हाल ही में जेनेवा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने लोहे के कणों की खोज की। इसे नरकीय ग्रह भी कह सकत हैं जहां जाना यानी पिघल जाना है। सिराज/ईएमएस 13 सितंबर 2024