लेख
30-Nov-2024
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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय दुनियाभर में आध्यात्मिक शिक्षा के प्रसार के लिए नियमित रूप से सेवा कार्य कर रहा है। दुनिया के अन्य देशों के साथ ही भारत मे नारी शक्ति को आगे लेकर चल रही यह संस्था साधु -संतों को सम्मान देंकर उन्हें विश्व शान्ति व सदभाव के यज्ञ में आहुति दिलाने का कार्य कर रही है।इसी श्रंखला में 3 दिसंबर से 5 दिसंबर तक ओम शांति रिट्रीट सेंटर गुरुग्राम में अखिल भारतीय साधु-संत महासम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।जिसमे देश दुनिया के महान संत ब्रह्माकुमारीज के मंच से आध्यात्म की खुशबू फैलाएंगे।भुनेश्वर में भारत को विश्वगुरु बनाने में साधु संत की भूमिका विषय पर सफल आयोजन के बाद अब गुरुग्राम में साधु संतों का समागम नई आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करेगा,ऐसा माना जा रहा है। भुवनेश्वर उपक्षेत्र के अंतर्गत लगभग 150 ब्रह्माकुमारी केंद्रों से लगभग 200 बीके बहनें और भाई बीते सितंबर माह में हुए साधु -संत सम्मेलन में शामिल हुए थे। स्वामी सचिन आनंद सरस्वती, स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती, स्वामी अभेदानंद सरस्वती, स्वामी बिमलानंद सरस्वती, सुरेश स्वामी, स्वामी कृष्ण चरण दास, स्वामी प्रणबानंद, ब्रह्मचारी प्रफुल्ल चैतन्य, बाबा रमेश चंद दास, मोहंता त्रिलोकेश्वर भारती, स्वामी हारिस सरस्वती, स्वामीनी ऋतजानंद, स्वामी गुरेश्वरानंद, स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, आनंद चैतन्य ब्रह्मचारी, स्वधी गीतादेवी, स्वामी निगमानंद, स्वामी ओमनानंद सरस्वती, किशोर शिवानंद स्वामी, चिंतामणि दास महाराज, वैष्णव चरण दास, स्वामी कृष्णानंद गुरु, केशव दास महाराज, स्वामी ओंकारानंद सरस्वती, सुधांशु अधिकारी आदि ने अपनी आध्यात्मिक विचार प्रक्रिया में विभिन्न परंपरा से जुड़े होने के बावजूद हाथ मिलाकर काम करने की बात की है। भुनेश्वर साधु -संत सम्मेलन में भगवान आश्रम, गुरुकुल आश्रम, निगमानंद आश्रम, गुरुपद आश्रम, भगवान आश्रम, महिमा आश्रम, दिव्यजीवन संथा, चिन्मय मिशन, निगम कल्पतरु आश्रम, राधिका धाम, डिवाइन लाइफ सोसाइटी, पुरी बड़ा ओडियामठ, राधागोबिंद मठ, प्रज्ञा मिशन, सास्वत एजुकेशनल सोसाइटी, गायत्री शक्ति पीठ, पतंजलि आदि के आध्यात्मिक संतों ने एक स्वर में भारत को विश्व में शांति स्थापना के लिए संकल्प लिया। संतों ने जीवन में आध्यात्म की पुर्नस्थापना के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा भी की गई।ब्रह्माकुमारीज दादियों का संकल्प रहता है कि संतों को एक बार माउंट आबू लाना है। संतों की सेवा करनी है। इसी लक्ष्य को लेकर ये संत सम्मेलन आयोजित हो रहे है। आध्यात्म, आरोग्य और आनंद की त्रिवेणी में संत समागम पर जो संत महात्मा महामंडलेश्वर एकत्रित होते हैं,उनका दिल से अभिनंदन किया जाता है। आज जब व्यक्ति के पास भौतिक साधनों का अंबार लग रहा है, तब भी वह अंदर ही अंदर खोखला होता जा रहा है। आज समाज के अंदर जो समरसता, सौहाद्र चाहिए, सात्विकता चाहिए उसके स्थान पर दुष्टता, अराजकता, स्वार्थपरायणा दिखाई दे रही है।जिसे दूर करने के लिए संतों की त्याग, तपस्या और पवित्रता के साथ साथ ब्रह्माकुमारीज का राजयोग कारगर हो सकता है। आज सारा विश्व कहता है कि हमारे जीवन में आध्यात्मिकता की कमी है। लेकिन वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है? जिस पर हम कह सकते है कि आत्मा और परमात्मा का ज्ञान ही आध्यात्मिकता है। यदि जीवन में उन्नति चाहिये तो ब्रहमाकुमारीज के राजयोग को सीखो और उसका नियमित अभ्यास करो। राजयोग इतना सहज है कि जितनी भी आपकी बुद्धि भटकती है, वह स्थिर हो जाएगी। यह कोई चमत्कार नहीं है बल्कि राजयोग की विधि है। आप जहां भी बैठो, खासकर सूर्य उदय होने के पहले और अस्त होने के बाद जो पूजा पाठ करते हो करो, लेकिन उसमें कुछ ओर जोड़ो। अपने आप से पूछो मैं कौन हूं? मन प्रश्न करेगा, बुद्धि जबाव देगी। एक ही जगह पर आप स्थितप्रज्ञ हो जाएंगे। भगवान पतित आत्मा को पावन बनाता है। इस आध्यात्मिक ज्ञान को जीवन में प्रयोग करते हो तो जीवन में सुख शांति आ जाएगी।ओम शांति रिट्रीट सेंटर गुरुग्राम में आयोजित हो रहे इस साधु-संत महासम्मेलन में अहिंसा परमो धर्म:युक्त लक्षण पर जहां उदघाटन सत्र में चर्चा होगी,वही आध्यात्मिक पतन ,धर्म ग्लानि तथा शिव परमात्मा के धरती पर अवतरण को लेकर भी विभिन्न सत्रो में विचार विमर्श ,चर्चा-परिचर्चा की जाएगी।इस महासम्मेलन में ब्रह्माकुमारीज महासचिव बीके बृजमोहन भाई,आध्यात्मिक ज्ञान साधिका बीके उषा दीदी,ओआरसी की निदेशक बीके आशा दीदी के साथ ही अनेक साधु -संत व आध्यात्मिक विद्वान भागीदारी निभा रहे है,जिनमे हरिद्वार से राजयोगिनी बीके मीना दीदी,राजयोगी सुशील भाई,शंकर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी दिनेशानंद महाराज, गुरु गोरक्ष आश्रम के योगी सागर नाथ तथा विप्र फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी भारद्वाज देवभूमि उत्तराखंड से होंगे।(लेखक विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति व वरिष्ठ साहित्यकार है) ईएमएस / 30 नवम्बर 24