ज़रा हटके
07-Feb-2025
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लासबेला,(ईएमएस)। हिंगलाज मंदिर बलूचिस्तान प्रांत लासबेला जिले में है। यह जिला पाकिस्तान के कराची शहर से करीब 250 किलोमीटर दूर है। लासबेला जिले की आबादी मुस्लिम बहुल है। यहां करीब 97 फीसदी आबादी इस्लाम को मानने वालों की ही है। यहां करीब 3 फीसदी हिंदुओं की आबादी है। एक आंकड़े के मुताबिक, इस जिले की आबादी करीब 7 लाख है। इसी जिले में बसा है हिंगलाज माता का मंदिर। हिंगलाज मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इसका उल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है। पाकिस्तान स्थित हिंगलाज मंदिर को माता के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। हिंगलाज मंदिर काफी दुर्गम जगह पर है। रास्ते में पहाड़-पर्वत और सुनसान रेगिस्तान हैं। हिंगलाज माता मन्दिर हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यहां इस देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते हैं। इस मन्दिर को नानी मन्दिर के नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंगलाज माता उन जगहों में से एक मानी जाती हैं जहां देवी सती के शरीर के अंग धरती पर गिरे थे। देवी सती, वैवाहिक सुख और लंबी उम्र की देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि जो कोई भी मंदिर में दर्शन करने जाता है और विधिपूर्वक पूजा करता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं।हिंगोल नदी के तट पर स्थित इस प्राचीन मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। शारदीय नवरात्र और चैत नवरात्र के मौके पर यहां खूब भीड़ होती है। भारत से भी भक्त वीजा वगैरह लेकर माता का दर्शन करने जाते हैं। हिंदू हिंगलाज मंदिर को माता का स्थान मानते हैं, वहीं, मुस्लिम इसे ‘बीबी नानी पीर’ या ‘नानी मंदिर’ या ‘नानी का हज’ के नाम से जानते हैं। लेकिन पूरी दुनिया में यह हिंगलाज माता के मंदिर से ही मशहूर है। वीरेंद्र/ईएमएस 07 फरवरी 2025