(बाल कविता: 20 मार्च गौरैया दिवस पर विशेष) देखो! आंगन में फुर्र -फुर्र करती आई गौरैया घर के ऐनक पर अपनी चोंच लड़ाई गौरैया अम्मा के पास पहुँच कर अपनी बात बताई बीत गए हैं जाडे के दिन देखो गर्मी है आई अम्मा मैं भी अब आप के साथ यहाँ रहूँगी घर में एक छोटा सा घोषला मैं भी रचूंगी चावल और थोड़ा सा पानी मुझे पीला देना गर्मी अधिक लगे, भोजन मुझे खिला देना तिनका -तिनका से मैं सुंदर बयां बनाऊंगी छोटे चूजों की मैं प्यारी मम्मी कहलाऊंगी चुन्नू -मुन्नू का थोड़ा सा प्यार मुझे लुटा देना ठंडे घड़े का मीठा पानी मुझको पीला देना सुंदर-सुंदर लोरी अम्मा बच्चों को सुनाऊँगी आसमान में उड़ती कैसे यह भी बतलाऊंगी प्यार -मुहब्बत में अम्मा गर्मी भी कट जाएगी आंगन की यह गौरैया, जाने कब उड़ जाएगी !!समाप्त!! ईएमएस / 19 मार्च 25