लेख
15-Apr-2025
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तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के भीतर वर्गीकरण की नीति को लागू करने का निर्णय लिया है। तेलंगाना देश का पहला राज्य बन गया है। जिसने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के निर्णय के अनुसार वर्गीकरण का काम कर केंद्र सरकार और भाजपा को कड़ी चुनौती देने का काम किया है। तेलंगाना सरकार का यह निर्णय सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा और साहसिक कदम है। आजादी के बाद देश में आरक्षण की व्यवस्था, समग्र सामाजिक विकास के उद्देश्य से पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए की गई थी। कई दशकों बाद यह महसूस हुआ, एससी-एसटी समुदाय के भीतर की कुछ जातियाँ ही आरक्षण का लाभ मिला हैं। जबकि अन्य समूह 75 साल के बाद भी हाशिए पर ही रह गए है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए अब समूह के बीच वर्गीकरण की आवश्यकता पैदा हुई है। तेलंगाना सरकार ने एक अध्ययन समिति का गठन किया था। उसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने उपसमूह के आधार पर यह निर्णय लिया है। समाज के भीतर सबसे पिछड़े वर्गों को वास्तविक लाभ कैसे पहुँचाया जाये। इस वर्गीकरण से अब आरक्षण और अन्य सामाजिक योजनाओं का लाभ उनको नहीं मिलेगा, जो पहले से सशक्त हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ उन उपवर्गों तक पहुँचेगा। जिन्हें अब तक आरक्षण के लाभ से नजर अंदाज रखा गया है।यह कदम सामाजिक ही नहीं, संवैधानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस विषय पर पहले ही फैसला कर चुकी है। इस तरह के वर्गीकरण को सिद्धांततः सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ वैध ठहरा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की शर्त थी, इसका आधार ठोस और न्यायसंगत हो। तेलंगाना सरकार ने इस बात का ध्यान रखते हुए सर्वे के माध्यम से व्यापक आंकड़ों और समाजिक विश्लेषण के साथ नीति तैयार की है। यह निर्णय देश के बाकी राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। इस निर्णय को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ लागू किया जाएगा, तो निश्चित रूप से यह नीति उन समुदायों के लिए वरदान साबित हो सकती है।जो अब तक सरकारी योजनाओं का लाभ पाने से बहुत दूर है। तेलंगाना ने यह सिद्ध किया है, केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि ठोस नीतिगत निर्णयों से ही सामाजिक न्याय को सुनिश्चित और जवाबदेह बनाया जा सकता है। तेलंगाना सरकार की यह पहल देश में आरक्षण नीति के पुनः परीक्षण और नवचिंतन का नया आधार बन सकता है। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस नेता एवं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जाति आधार पर जनगणना की मांग पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं। जिस तरह की स्थिति देश में अब बन गई है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आरक्षण के मसले पर जो दिशा निर्देश जारी किए हैं। उसके अनुसार तेलंगाना सरकार ने काम करते हुए जो नई नीति लागू की है। वह देश के विकास की एक नई आधार शिला बन सकती है। 2021 की जनगणना का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। केंद्र सरकार को चाहिए 2021 की, जो जनगणना होना है। उसमें सभी वर्गों के साथ उनके उप वर्गों को भी शामिल किया जाए। आर्थिक एवं सामाजिक जानकारी के आंकड़े सामने लाये जाएं, ताकि भारत के सभी नागरिकों समान अवसर प्राप्त हों, जो अभी तक वंचित है। वंचित और जरूरत मंदों को आरक्षण का सहारा देकर मुख्य धारा में लाने का काम सामाजिक व्यवस्था के लिए जरूरी है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए। वह कमजोर वर्गों को राहत देकर उन्हें विकास की दौड़ में समान अवसर प्रदान करें। आरक्षण को लेकर विगत कई दशकों से समय-समय पर जो विवाद देखने को मिलते है। तेलंगाना सरकार के इस निर्णय से समाज के सभी वर्ग ओर समुदाय को आरक्षण का लाभ मिलना तय होगा। इसके लिए तेलंगाना सरकार ने जो पहल की है सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है। इन दोनों की सराहना की जानी चाहिए। इस फैसले ओ राजनीतिक नजरिए से न देखकर सामाजिक विकास के नजरिए से देखना होगा। तेलंगाना सरकार ने संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के जन्म दिवस पर जो पहल की है, वह सराहनीय है। ईएमएस / 15 अप्रैल 25